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हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी तमिलनाडु और गुजरात की उत्कृष्ट श्रेणी को दिखाती है

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अहमदाबाद (मा.स.स.). वस्त्र मंत्रालय ने सोमनाथ और द्वारिका में हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इस प्रदर्शनी में तमिलनाडु और गुजरात की हथकरघा और हस्तशिल्प की उत्कृष्ट श्रेणियां दिखाई गई हैं। मंत्रालय राजकोट में 21-22 अप्रैल, 2023 को वस्त्र उद्योग के हितधारकों के साथ चिंतन शिविर आयोजित कर रहा है। इस शिविर में वस्त्र उद्योग से संबंधित महत्वपूर्ण एजेंडा तथा सामयिक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। ये गतिविधियां “सौराष्ट्र तमिल संगमम” का हिस्सा हैं। “सौराष्ट्र तमिल संगमम” का आयोजन केंद्र और गुजरात सरकार के समन्वय से किया गया है। इसे विभिन्न संस्थानों तथा वस्त्र मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों ने समर्थन दिया है।

दो दिन के चिंतन शिविर में 21 अप्रैल, 2023 को विशेषज्ञ दो विषयों- (क) होम-टेक, क्लॉथ-टेक उत्पादों पर फोकस के साथ टेक्नीकल टेक्सटाइल में भारत के लिए अवसर तलाशने, (ख) स्थायित्व और सर्कुलरिटी पर विचार-विमर्श करेंगे। 22 अप्रैल, 2023 को दोपहर बाद कपास तथा मानव निर्मित रेशम पर वस्त्र सलाहकार समूह (टीएजी) की बैठक होगी और उसके बाद हैंडलूम तथा हस्तशिल्प उत्पादों के ई-कॉमर्स पोर्टल का सॉफ्ट लॉन्च होगा। सौराष्ट्र के लगभग 13 लाख लोग वर्तमान में तमिलनाडु के 47 शहरों में बसे हैं। ये लोग मूल रूप से गुजरात के हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से सौराष्ट्र के लोग, जो बुनाई के अतिरिक्त विभिन्न कार्यों में काफी दक्ष हैं, मदुरै तथा राज्य के अन्य शहरों में चार सौ वर्ष पहले बाहरी आक्रमणों से हुई उथल-पुथल के कारण वहां जा बसे थे।

सौराष्ट्र तमिल संगमम (एसटीसी) के आयोजन का उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अप्रैल 2023 के महीने में सोमनाथ, द्वारिका तथा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात) में सदियों पुराने संबंधों को बढ़ावा देना तथा सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच संपर्कों को प्रोत्साहित करना है। सौराष्ट्र तमिल संगमम भारत सरकार की “एक भारत, श्रेष्ठ भारत”(ईबीएसबी) पहल के अंतर्गत किए गए आयोजनों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से निर्देशित ईबीएसबी पहल का उद्देश्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की जोड़ी की अवधारणा के माध्यम से विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच बातचीत बढ़ाने तथा पारस्परिक समझदारी को प्रोत्साहित करना है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की जोड़ी भाषा, साहित्य, खान-पान, उत्सव सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे के साथ काम करती हैं।

संगमम पिछले वर्ष वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम की परिपूर्ण निरंतरता है। काशी तमिल संगमम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह दोहराया था कि “अमृतकाल में हमारे संकल्प एकता तथा संपूर्ण देश के सामूहिक प्रयासों से पूरे होंगे” और काशी-तमिल संगमम के सार्थक परिणामों को आगे बढ़ाने पर बल दिया था। सौराष्ट्र तमिल संगमम पहल का उद्देश्य तमिलनाडु में रह रहे सौराष्ट्र समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहित करना है। यह तमिलनाडु में सौराष्ट्र के लोगों को गुजरात में रह रहे भाइयों के साथ जुड़ने और उनकी साझा परंपराओं तथा मूल्यों का उत्सव मनाने का मंच प्रदान करेगा।

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