नई दिल्ली (मा.स.स.). भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) ने नॉलेज पार्टनर के रूप में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन- यूनेस्को के सहयोग से “सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों तथा सृजनात्मक निर्माण करने की क्षमता वाली अर्थव्यवस्था की समृद्धि” पर एक सार्वभौमिक विषयगत वेबिनार का आयोजन किया। यह वेबिनार अपनी तरह के चार कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित किया गया तीसरा सम्मेलन था, जो कि संस्कृति कार्य समूह द्वारा स्पष्ट की गई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित था। इस वेबिनार का उद्देश्य एक संयुक्त साझा संवाद को बढ़ावा देना और विशेषज्ञ संचालित दृष्टिकोण के माध्यम से विस्तृत चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करना था।
इस कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों तथा सृजनात्मक निर्माण करने की क्षमता वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने और जी20 सदस्य देशों तथा अतिथि राष्ट्रों के साथ-साथ 13 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं उनसे जुड़े हुए संस्थानों सहित 28 देशों के 43 विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए महत्वपूर्ण चर्चा की गई। आज के सार्वभौमिक संसार में, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संदर्भ के लिए सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों तथा सृजनात्मक निर्माण करने की क्षमता वाली अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। व्यापार और विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा जारी क्रिएटिव इकोनॉमी आउटलुक 2022 के अनुसार, ये उद्योग विकास के संवाहक बन गए हैं, जैसा कि रचनात्मक वस्तुओं और सेवाओं के वैश्विक निर्यात में देखा गया है, जो 2020 में क्रमशः 524 मिलियन अमरीकी डॉलर और 1.1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है।
इन क्षेत्रों में ऐसी ही प्रवृत्ति आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की उम्मीद है। सांस्कृतिक और रचनात्मक क्रिया-कलापों में युवाओं का जुड़ाव उल्लेखनीय है क्योंकि यह क्षेत्र 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को एक बड़ी संख्या को रोजगार देता है। दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संदर्भ में व्यापारिक गतिविधियों के लिए निरंतर आर्थिक प्रगति और विकास के स्रोत के रूप में सांस्कृतिक एवं रचनात्मक कार्य तेजी से महत्वपूर्ण बने रहे हैं। पिछले दो दशकों में, रचनात्मक सामग्री में दक्षिण-दक्षिण सहयोग दोगुना हो गया है, जिसमें साल 2020 में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सृजनशील निर्यात का 40.5% हिस्सा भी शामिल है। इसके अलावा, वर्ष 2011 के बाद से विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने विकसित राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में इस तरह की अधिक वस्तुओं का निर्यात किया है।
कोई संदेह नहीं है कि कलात्मक उद्योग अपना बहुत अधिक महत्व रखता है, लेकिन इसकी सतत अविधिवत संरचना स्थायी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण अड़चन पैदा करती है। वर्तमान में, अनियमित अर्थव्यवस्था वैश्विक रचनात्मक उद्योग का अनुमानित 60 प्रतिशत हिस्सा है, जो सांस्कृतिक पेशेवरों की स्थिति को प्रभावित करती है और व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए दूरगामी परिणाम रखती है। इस क्षेत्र के योगदान का मूल्यांकन नहीं किया गया है, जिससे इस तरह की कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक जुड़ाव वाले नेटवर्क को स्थापित करना आवश्यक हो गया है। ऐसा करने के लिए, औपचारिकता की दिशा में आवश्यक उपायों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श को पूरा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
संस्कृति मंत्रालय में सचिव और संस्कृति कार्य समूह अध्यक्ष गोविंद मोहन ने वेबिनार को संबोधित किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में एक जीवंत और सम्मिलित सांस्कृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जो रचनात्मकता को महत्व देता है और इसका सहयोग करता है, साथ ही जो व्यक्तियों, समुदायों एवं समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सांस्कृतिक व रचनात्मक क्षेत्र भी परिवर्तन लाने, व्यक्तियों एवं समुदायों को सशक्त बनाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए एक उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं। इसलिए, इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाना और एक ऐसे तंत्र को स्थापित करना आवश्यक है जहां रचनात्मकता तथा नवाचार फल-फूल के उन्नति कर सकें।
वेबिनार में बातचीत के तीन सत्र आयोजित हुए थे और विशेषज्ञों द्वारा सुगमता के साथ अपनी बात रखने तथा चर्चा करने के लिए इन सत्रों को उनके संबंधित समय क्षेत्रों के आधार पर बांटा गया था, जिससे किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके। इस वेबिनार को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन, संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्षेत्र संबंधी विषय पर दक्षता के साथ क्रमिक रूप से संचालित किया गया था। इसे यूनेस्को के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम भी किया गया। चर्चा में विशेष रूप से उभरते व्यापार मॉडल और अत्याधुनिक तकनीकों के संबंध में कोविड-19 महामारी के प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।
जी20 सदस्य देशों तथा अतिथि राष्ट्रों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में रचनात्मक अर्थव्यवस्था के पर्याप्त योगदान का प्रदर्शन करते हुए आंकड़े साझा किये। कुछ इस तरह के मुद्दों पर भी जोर दिया गया कि रचनात्मक अर्थव्यवस्था एक एकीकृत और मानव-केंद्रित समाज के आधार के रूप में भी कार्य करती है, जो सांस्कृतिक विविधता को एक मौलिक सिद्धांत के रूप में स्थापित करके रखती है। चर्चा में विशेष रूप से डिजिटल क्रांति द्वारा लाए गए परिवर्तनकारी परिवर्तनों का उल्लेख किया गया और हाल ही में कोविड-19 महामारी के प्रभावों से निपटने तथा विशेष रूप से उभरते व्यापार मॉडल एवं अत्याधुनिक तकनीकों के संबंध में प्रकाश डाला गया।
कई देशों ने सूचित किया कि सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योग तेजी से एक मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र बन गए हैं, जैसा कि कुछ मामलों के संदर्भ में विशेष मंत्रालयों की स्थापना से पता चलता है। यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि कुछ देशों ने सांस्कृतिक व्यवसायियों की स्थिति में सुधार लाने, मुआवजे में निष्पक्षता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक क्षेत्र में समावेशिता तथा समान हिस्सेदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से नीतियों को लागू किया है। इसके अलावा, ये देश सांस्कृतिक क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने के लिए औपचारिक शिक्षा, व्यवसायीकरण तथा प्रतिभा विकास में निवेश कर रहे हैं और संस्कृति अनुगामी जमा सहित रचनात्मक क्षेत्र के लिए डाटा संग्रह में सुधार के उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं।
इस दौरान, रचनात्मक क्षेत्र को वर्गीकृत करने के लिए उपयोग की जाने वाली पद्धतियों के संबंध में सिफारिशों का एक समूह तैयार किया गया है। इनमें से कुछ ने सृजनात्मक निर्माण करने की क्षमता वाली अर्थव्यवस्था के विस्तार की एक स्पष्ट और एकीकृत परिभाषा तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत व्याख्याओं तथा विशिष्ट राष्ट्रीय सांस्कृतिक नीतियों के उदाहरणों का उल्लेख भी शामिल है। अन्य अनुशंसाओं में सकल घरेलू उत्पाद में रचनात्मक क्षेत्र के योगदान तथा जी20 देशों में सतत विकास पर इसके प्रभाव को मापने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया गया है। जिसमें विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से, उनके मौजूदा सांख्यिकीय और पद्धतिगत ढांचे पर निर्माण की प्रक्रिया को भी शामिल करने की बात कही गई है।
कर्नाटक के हम्पी में 15 जुलाई से 18 जुलाई 2023 तक होने वाली संस्कृति कार्य समूह की तीसरी बैठक में चार वैश्विक विषयगत वेबिनार की एक समेकित रिपोर्ट तैयार की जाएगी और इसे जी20 सदस्य देशों, अतिथि राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझा किया जाएगा। इस रिपोर्ट को तैयार करने का उद्देश्य समय के साथ सूचना तैयार करना सुनिश्चित करने की दृष्टि से संयुक्त कार्य, विचार-विमर्श और संस्कृति कार्य समूह प्रक्रिया की चर्चाओं की विरासत के रूप में प्रयोग करना है। चौथा वैश्विक विषयगत वेबिनार, संस्कृति के संरक्षण और समृद्धि के लिए डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने पर 20 अप्रैल 2023 के लिए निर्धारित है।
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