नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने जी20 स्वास्थ्य कार्य समूह की दूसरी बैठक के एक संक्षिप्त कार्यक्रम- “जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य की चुनौतियों को संबोधित करना: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” में उद्घाटन भाषण दिया। इस सह-ब्रांड कार्यक्रम का आयोजन एशियाई विकास बैंक व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने किया। इसका उद्देश्य पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास को समन्वित करने और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, जो मानव, पशु व पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को मान्यता प्रदान करता है, के तहत जलवायु-तटस्थ और लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करना था। इस कार्यक्रम में भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत भी उपस्थित थे।
परशोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच संबंधों को मान्यता प्रदान करता है। उन्होंने आगे प्रधानमंत्री के इस संदेश को दोहराया कि भौगोलिक सीमाओं के बावजूद संपूर्ण मानवता एक ही ब्रह्मांड का हिस्सा है। रूपाला ने जलवायु परिवर्तन में स्वास्थ्य क्षेत्र के योगदान को कम करने और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के उत्पन्न होने से रोकने को लेकर जानवरों से जुड़े रोगों की निगरानी को मजबूत करने के लिए पशु स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य क्षेत्र की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस पर जोर दिया कि पशु स्वास्थ्य को मजबूत करने और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को लागू करने से जूनोटिक (पशुजन्य) रोगों को रोकने व नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है, जिसका पशु कल्याण, आर्थिक उत्पादकता और मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा इस कार्यक्रम में भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सेवा और गरीबी जैसी विभिन्न चुनौतियों की आपसी जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि कोविड-19 महामारी ने दिखाया है कि कैसे वैश्विक दक्षिण (दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया व ओशिनिया) के संचारी रोगों व संसाधनों की कमी के बोझ के कारण अधिक असुरक्षित होने के साथ स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन आपस में जुड़े हुए हैं। भारत के जी20 शेरपा ने आगे बताया कि भारत ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है और टेलीमेडिसिन व टेली-परामर्श जैसी डिजिटल पहलों के साथ जलवायु-लचीली स्वास्थ्य सेवा मॉडल को लेकर स्थायी समाधान के साथ दुनिया की फार्मेसी बन गया है। उन्होंने आगे कहा, “एक जलवायु अनुकूल स्वास्थ्य सेवा मॉडल के लिए भारत की डिजिटल पहल जैसे कि टेलीमेडिसिन और टेली-परामर्श स्थायी समाधान हैं।”
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव राजेश के सिंह ने पशुजन्य रोगों की समय पर निगरानी सुनिश्चित करने में भारत की पशु महामारी तैयारी पहल की क्षमता को रेखांकित किया। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव लव अग्रवाल ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और जलवायु परिवर्तन व स्वास्थ्य के बीच संबंधों को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर दिया। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के दक्षिण पूर्व एशिया विभाग के महानिदेशक रमेश सुब्रमण्यम ने रेखांकित किया कि स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता देने से वैश्विक स्वास्थ्य और जलवायु, दोनों लक्ष्यों को एक साथ प्राप्त करने के लिए सहक्रियाशील समाधान मिल सकते हैं और एशियाई विकास बैंक जैसे संस्थान इसके समर्थन के लिए सदस्य देशों के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं। इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एडीबी इंडिया के देश निदेशक ताकेओ कोनिशी, एडीबी के चीफ सेक्टर ऑफिसर सुंगसुप रा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं