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फिपिक III शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री के प्रारंभिक वक्तव्य का मूल पाठ

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नई दिल्ली (मा.स.स.). तीसरे फिपिक समिट में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। मुझे ख़ुशी है कि प्रधानमंत्री जेम्स मरापे मेरे साथ इस समिट को co-host कर रहें हैं। यहाँ पोर्ट मोरेस्बी में समिट की सभी arrangements के लिए मैं उनका और उनकी टीम का धन्यवाद करता हूँ। इस बार हम लम्बे समय के बाद मिल रहे हैं। इस बीच विश्व Covid महामारी और अन्य कई चुनौतियों के कठिन दौर से गुज़रा है। इन चुनौतियों का प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे अधिक पड़ा है। Climate change, प्राकृतिक आपदाएं, भुखमरी, गरीबी, स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सी चुनौतियाँ पहले से ही थी। अब, नयी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। Food, Fuel, Fertilizer और pharma की सप्लाई chain में बाधाएं आ रही हैं। जिन्हें हम अपना विश्वसनीय मानते थे, पता चला कि जरूरत के समय वह हमारे साथ नहीं खड़े थे। इस कठिनाई के समय में पुराना वाक्य सिद्ध हुआ : A Friend in need is friend indeed।

मुझे ख़ुशी है कि भारत इस चुनौतीपूर्ण समय में अपने पैसिफिक आइलैंड मित्रों से कंधा से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। भारत में बनी vaccine हो या जरूरत की दवाईयां; गेहूं हो या चीनी, भारत अपनी क्षमताओं के अनुरूप सभी साथी देशों की मदद करता रहा। जैसा मैंने पहले भी कहा है, मेरे लिए आप Large Ocean Countries हैं, Small Island States नहीं। आपका यह महासागर ही भारत को आपके साथ जोड़ता है। भारतीय विचारधारा में संपूर्ण विश्व को एक परिवार की तरह देखा गया है। इस साल चल रही हमारी G-20 Presidency की थीम – ‘One Earth, One Family, One Future’ – भी इसी विचारधारा पर आधारित है। इस वर्ष जनवरी में हमने Voice of Global South समिट का आयोजन किया। आपके प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। अपने विचार साझा किये। इसके लिए मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ।

भारत Global South की चिंताओं, उनकी अपेक्षाओं और उनकी आकांक्षाओं को G-20 के ज़रिये विश्व समक्ष पहुँचाना अपना दायित्व मानता है। पिछले दो दिनों में, G-7 outreach समिट में भी मेरा यही प्रयत्न रहा। His Excellency मार्क ब्राउन, जो वहां पर पैसिफिक आइलैंड फोरम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, इसके साक्षी हैं। Climate change के मुद्दे पर भारत ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य सामने रखे हैं। मुझे ख़ुशी है की हम इन पर तेजी से काम कर रहें हैं। पिछले साल, UN Secretary General के साथ, मैंने मिशन LiFE – Lifestyle For Environment, लांच किया। मैं चाहूँगा कि आप भी इस movement से जुड़ें। भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायन्स और CDRI जैसे initiatives लिए हैं। मैं समझता हूँ कि सोलर अलायन्स के साथ आप में से ज्यादातर देश जुड़े हैं। मेरा विश्वास है CDRI के programs को भी आप useful पाएंगे। मैं इस अवसर पर आप सभी को इन initiatives से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Food security को प्राथमिकता देते हुए, हमने nutrition और वातावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखा है। वर्ष 2023 को UN ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। भारत ने इस superfood को अन्न का दर्जा दिया है। इनकी खेती में कम पानी लगता है, और इनमें नुट्रीशन भी अधिक है। मेरा विश्वास है कि मिलेट आपके देशों में भी sustainable food security सुनिश्चित करने मे बड़ा योगदान दे सकता है। भारत आपकी प्राथमिकताओं का सम्मान करता है। आपका development पार्टनर होने पर गर्व महसूस करता है। मानवीय सहायता हो या फिर आपका विकास; भारत को आप भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख सकते हैं। हमारी दृष्टिकोण मानवीय मूल्यों पर आधारित है।

पलाउ का Convention Center;
नाउरू का waste management प्रोजेक्ट;
Fiji के cyclone प्रभावित किसानों के लिए बीज;
और किरिबास का सोलर लाइट प्रोजेक्ट।

यह सभी इसी भावना पर आधारित हैं। हम बिना किसी संकोच के, अपनी क्षमताएं और experiences आपके साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। डिजिटल technology हो या स्पेस टेक्नोलॉजी; हेल्थ security हो या food security; climate change हो या पर्यावरण संरक्षण; हम हर तरह आपके साथ हैं। आपकी तरह हम Multilateralism में विश्वास रखते हैं। Free, open और inclusive Indo-Pacific का समर्थन करते हैं। सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हैं। ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी UN सुरक्षा परिषद् में बुलंदी से उठनी चाहिए। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सुधार-हमारी साझा प्राथमिकता होनी चाहिए। हिरोशिमा में, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के साथ QUAD में मेरी बात हुई। इस बातचीत में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर विशेष फोकस दिया जा रहा है। QUAD की बैठक में हमने पलाऊ में रेडियो एकसेस नेटवर्क (RAN) लगाने कर निर्णय लिया है। हम plurilateral फॉर्मेट में, पैसिफिक आइलैंड देशों के साथ सहभागीदारी बढाएंगे।

मुझे ख़ुशी है कि फिजी की University of South Pacific में Sustainable Coastal and Ocean Research Institute (स्कोरी), की स्थापना हुई है। यह institute, सस्टेनेबल development में भारत के अनुभवों को पैसिफिक आइलैंड देशों के विजन से जोड़ता है। R & D के साथ-साथ, यह climate change की चुनौतियों का समाधान करने में भी उपयोगी होगा। आज स्कोरी को 14 देशों के नागरिकों के कल्याण, प्रगति और समृद्धि के लिए समर्पित करने में मुझे खुशी है। उसी तरह मुझे ख़ुशी है की स्पेस टेक्नोलॉजी का राष्ट्रीय और मानवीय विकास में उपयोग के लिए, वेबसाइट का launch हो रहा है। इसके जरिये, आप इंडियन satellite नेटवर्क से अपने देश का रिमोट सेंसिंग डाटा डाउनलोड कर सकेंगे। अपनी-अपनी राष्ट्रीय विकास योजनाओं में इसका उपयोग कर सकेंगे। अब मैं आप सभी के विचार जानने के लिए उत्सुक हूँ। एक बार फिर, आज इस समिट में भाग लेने के लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।

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