टोरंटो. कनाडा की संसद- हाउस ऑफ कॉमन्स में पहले तो एक पूर्व नाजी सैनिक को सम्मान दिया गया, बाद में स्पीकर ने सांसदों की इस हरकत पर माफी मांगी। दरअसल, 24 सितंबर को स्पीकर एंथोनी रोटा ने संसद में 98 साल के यारोस्लाव हुंका को वॉर हीरो बताया। इसके बाद मौजूदा सांसदों ने हुंका को 2 बार स्टैंडिंग ओवेशन दी। इस दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी संसद में मौजूद थे।
हालांकि, आज यानी सोमवार को स्पीकर ने इस घटना पर सफाई दी। स्पीकर एंथोनी रोटा ने कहा- यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की स्पीच के बाद मैंने सेकेंड वर्ल्ड वॉर के एक बुजुर्ग सैनिक को देखा। जिसके बाद उन्हें वॉर हीरो की तरह इंट्रोड्यूस कर दिया। बाद में जब मुझे उनसे जुड़ी जानकारी मिली तो अब मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है। मैं कनाडा में रह रहे यहूदी समुदाय के लोगों से माफी मांगता हूं।दरअसल, नाजियों (अडोल्फ हिटलर की सेना) ने सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 11 लाख से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसमें ज्यादातर यहूदी थे।
जेलेंस्की यहूदी हैं, उन्होंने भी सम्मान दिया
रूस के साथ चल रही जंग में अपने देश के लिए सपोर्ट मांगने कनाडा पहुंचे यूक्रेनी प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी नाजी सैनिक यारोस्लाव हुंका को सम्मान दिया। संसद में नाम पुकारे जाने पर हुंका ने सैल्यूट किया। इसके बाद सभी सांसदों, जेलेंस्की, यूक्रेनी डेलिगेट्स ने ताली बजाकर और हाथ उठाकर उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दी।
हुंका को दिए गए इनविटेशन की जानकारी नहीं थी
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के ऑफिस से जारी एक बयान में कहा गया कि रोटा ने माफी मांग ली है। उन्होंने इस बात को स्वीकार है कि उन्होंने हुंका को इनविटेशन दिया और संसद में सम्मान किया। बयान में ये भी कहा गया कि प्राइम मिनिस्टर ऑफिस, सांसदों और यूक्रेनी डेलिगेट्स को इस बात जानकारी नहीं थी।
आतंक पर लगाम नहीं कस रही ट्रूडो सरकार
कनाडा सरकार पर कई बार आतंकियों को पनाह देने और टेररिस्ट एक्टिविटीज पर रोक नहीं लगाने के आरोप लगे हैं। खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर सरकार का रवैया काफी नरम है। भारत सरकार का कहना है कि कनाडा में भारत विरोधी एक्टिविटीज हो रही है, लेकिन इसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
आंतकी की मौत को लेकर भारत पर आरोप लगाए
कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के आरोप लगाए। इसके बाद सवाल उठने लगे कि आखिर कनाडा में खालिस्तान मूवमेंट को सरकार के समर्थन की वजह क्या है। वजह है- सरकार बनाने के लिए खालिस्तान सपोर्टर की मदद लेने। सितंबर 2021 में हुए चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को बहुमत नहीं मिला और सरकार बनाने के लिए उन्हें जगमीत सिंह की अगुआई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन लेना पड़ा। सिंह को कनाडा में प्रो-खालिस्तानी नेता माना जाता है।
साभार : दैनिक भास्कर
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