लखनऊ. मुजफ्फरनगर जनपद के खुब्बापुर गांव की शिक्षिका तृप्ति त्यागी सवालों के घेरे में है। अब वह कह रही हैं कि उन्हें अपने किए का पछतावा है, इसकी गलती भी स्वीकार कर ली है। मुस्लिम बच्चों को पढ़ाया, अभिभावक आते थे और कहते थे कि मैडम सख्ती रखना, हमें बच्चे कामयाब करने थे। बच्चों को अनुशासन में लाने के लिए सख्ती शुरू की। दिव्यांग हूं, कुर्सी से नहीं उठा जा रहा था। ऐसे में बच्चों से सजा दिलाई, लेकिन यह गलत हो गया। वायरल वीडियो की सच्चाई नहीं दिखाई गई।
मैंने मुस्लिमों पर कोई टिप्पणी नहीं की। आम बोलचाल की भाषा में सिर्फ यह कहा कि जितनी भी ‘मोमडन (मुस्लिम) मां हैं, वो अपने बच्चों को लेकर मायके न जाएं। क्योंकि एग्जाम शुरू होने वाले हैं। इससे पढ़ाई में नुकसान होगा। क्योंकि बच्चे एग्जाम नहीं दे पाएंगे। मेरी मंशा गलत नहीं थी। बच्चे के पेरेंट्स की भी यही डिमांड थी कि इसे टाइट करो, ये पढ़ाई नहीं करता। लेकिन इस घटना के बाद मेरा माइंड अपसेट हो गया है। सोचती हूं, अब जियूं या न जियूं।
यह था मामला
खुब्बापुर गांव के नेहा पब्लिक स्कूल में शिक्षिका तृप्ति त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के यूकेजी के छात्र की सहपाठियों से बेरहमी से पिटाई करा दी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी भी की गई। प्रकरण के दौरान पीडि़त छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना ली। वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगी और शिक्षिका की गिरफ्तार की मांग उठती रही।
अब तक क्या हुई कार्रवाई
आरोपी शिक्षिका पर पुलिस ने एनसीआर दर्ज की है। बीएसए शुभम शुक्ला ने नोटिस जारी किया है। स्कूल की मान्यता रद की जाएगी।
साभार : अमर उजाला
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