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पीयूष गोयल ने स्टार्टअप को सुदृढ़ करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के सृजन की अपील की

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नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए परामर्शदाताओं, निवेशकों और उद्यमियों के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के सृजन की अपील की। उन्होंने कहा कि इस नेटवर्क को स्टार्टअप्स को सहायता और प्रेरणा देनी चाहिए, विचारों, सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और वित्त पोषण तंत्रों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए एक टीम के रूप में कार्य करना और अनुसंधान और विकास में गठबंधनों को बढ़ावा देना चाहिए। वह आज हैदराबाद में जी20 के स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की इंसेप्शन बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

गोयल ने कहा कि नवोन्मेषण की सहायता करना केवल एकल राष्ट्रों की भूमिका भर नहीं है और उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के सभी हिस्सों में स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने के वैश्विक प्रयास को पोषित करने के लिए विश्व राष्ट्रों की सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए तथा इस प्रकार एक वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम का सृजन करना होगा जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए समावेशी, सहायक और स्थायी हो। गोयल ने कहा कि जी20 के मेजबान राष्ट्र के रूप में वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम की प्रगति और क्षमता को रेखांकित करने पर भारत को गर्व है। उन्होंने कहा कि नवोन्मेषण पर भारत के विशेष ध्यान के हिस्से के रूप में पहली बार भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत स्टार्टअप20 समूह की स्थापना की गई थी।

पीयूष गोयल ने विश्वास जताया कि नवोन्मेषण वह सबसे मजबूत स्तंभ होगा जो अमृतकाल में एक विकसित भारत के निर्माण में सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि नवोन्मेषण अर्थव्यवस्था और सामाजिक तथा सार्वजनिक कल्याण के लिए एक उत्प्रेरक बल रहा है। उन्होंने कहा, “आज के विश्व में नवोन्मेषण आर्थिक उद्देश्यों को अर्जित करने भर से आगे की भी सोचता है क्योंकि यह सामाजिक समावेश और पर्यावरण स्थिरता पर भी विचार करता है।”

उन्होंने कहा कि भारत ने 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्टार्टअप इंडिया पहल के लॉन्च तथा आधारशिला रखने के साथ अपनी स्टार्टअप यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि पिछले 7 वर्षों में, इसने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और नए तथा अभिनव विचारों को आगे बढ़ाने में सहायता की है, स्टार्टअप्स को बढ़ाने और फलने-फूलने में मदद करने के लिए एक इकोसिस्टम का निर्माण किया है जो विकास के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारे स्टार्टअप्स की क्षमता- चाहे वह ऊर्जा हो, वित्तीय समावेशन हो, जहां फिनटेक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, चाहे वह महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई हो, जब सुदूर स्वास्थ्य सेवा और भोजन वितरण बहुत अहम हो गए थे, चाहे ऑनलाइन शिक्षा में हो जो कि आज बहुत स्वाभाविक हो गया है, चाहे कृषि-प्रौद्योगिकी में हमारा काम हो, इसने कई चुनौतियों का सामना करने में हमारी मदद की।

गोयल ने कहा कि विश्व जलवायु परिवर्तन से लेकर निर्धनता और असमानता जैसी अनेक वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने दृढ़ता के साथ विश्वास व्यक्त किया कि नवोन्मेषण इन समस्याओं का समाधान करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। गोयल ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप संदर्भ में हमारे उद्यमी इन चुनौतियों से प्रत्यक्ष रूप से निपटने के लिए अपनी रचनाशीलता और प्रतिभा का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने समस्याओं से निपटने और सामाजिक नवोन्मेषण को पुनर्परिभाषित करके भारत में समावेशी विकास सुनिश्चित करने के साधन के रूप में कोविन, यूपीआई और ओएनडीसी जैसे डिजिटल पब्लिक गुड्स के उदाहरणों को संदर्भित किया।

उन्होंने कहा कि श्रेणी 2 और 3 बाजारों, जो तेजी से नवीनतम प्रौद्यगिकी को अपना रहे हैं, से बढ़ती सहभागिता ने भारत में स्थानीय स्टार्टअप की व्यापकता को प्रेरित किया है जिससे कि नये विचार सफल हो सकें। उन्होंने कहा कि जी-20 के माध्यम से, भारत हमारी विशेषज्ञता को हस्तांतरित करने का प्रयास कर रहा था, जिससे कि इंडियास्टैक ग्लोबलस्टैक बन जाएगा और यह उस तरीके को रुपांतरित करेगा जिससे लोग प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। इससे प्रौद्योगिकी को आम आदमी तक ले जाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को वैश्विक प्रौद्योगिकी तथा इनोवेशन हब बनने के लिए निम्न लागत, आउटसोर्स किए गए सॉफ्टवेयर तथा सहायक सेवाओं के गंतव्य से स्वयं रुपांतरित होना होगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत 7 वर्षों में 41 रैंक की विशाल छलांग लगाते हुए डब्ल्यूआईपीओ के वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक (जीआईआई) में 40वें रैंक पर पहुंच गया है।

गोयल ने कहा कि भारत अटल इनोवेशन मिशन के माध्यम से स्कूली स्तर से ही नवोन्मेषण की भावना का पोषण करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व भर के कई देशों के साथ स्टार्टअप्स की सहायता करने के लिए सक्रिय कार्यक्रम भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण भारत-अमेरिका, भारत-ब्रिटेन, भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारियां हैं जहां हम डीप टेक स्टार्टअप्स की सहायता करने की खोज करते हैं, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं, और स्वास्थ्य, जल, कृषि, शिक्षा, वित्तीय समावेशन आदि जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरी करते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने स्टार्टअप्स के विकास के लिए ‘सेंस’- शेयर, एक्सप्लोर, नर्चर, सर्व और स्टार्टअप्स के विकास के लिए अधिक सशक्तिकरण का मंत्र दिया। उन्होंने कहा, “जब मैं अपने चारों ओर उत्साह देखता हूं, तो मुझे बदलती मानसिकता, तात्कालिकता का अहसास होता है, मैं महसूस कर सकता हूं कि स्टार्टअप 20 एक बहुत शक्तिशाली निकाय बन जाएगा जो विश्व के स्टार्टअप्स को पहचानने और उनका सम्मान करने के तरीके को परिवर्तित कर देगा”। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले 2 दिनों में होने वाली चर्चाएं जी20 नेताओं के लिए वैश्विक स्टार्टअप क्रांति पर विचार-विमर्श करने और आरंभ करने के लिए मजबूत कार्रवाई योग्य अनुशंसाओं की आधारशिला रखेगी, जिससे हमें विश्व भर में स्टार्टअप्स के भविष्य में सही मायने में परिवर्तन लाने में सहायता मिलेगी।

स्टार्टअप 20 में जी20 देशों के प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षक देशों के नौ विशेष आमंत्रितों, बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम भी सहभागिता करेंगे। भारत द्वारा अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद जी20 के तहत गठित समूह 28-29 जनवरी को अपनी प्रारंभिक बैठक आयोजित कर रहा है, जिसमें आगामी वर्षों के लिए जी20 देशों की उद्यमिता और नवोन्मेषण प्राथमिकताओं पर नीतिगत अनुशसाओं के सृजनशील विकास की अपेक्षा है। बैठक स्टार्टअप्स की सहायता करने और स्टार्टअप्स, कंपनियों, निवेशकों, नवोन्मेषण एजेंसियों और अन्य प्रमुख इकोसिस्टम हितधारकों के बीच संयोजन को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक रुपरेखा तैयार करेगी।

उद्घाटन सत्र में जी20 शेरपा, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, स्टार्टअप20 इंडिया के अध्यक्ष डॉ. चिंतन वैष्णव, सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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