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मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए चाहिए 40 लोकसभा सीट

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लखनऊ. लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की बात करने वाली बसपा प्रमुख मायावती का INDIA गठबंधन के लिए दिल पिघलने लगा है. विपक्षी दल भी बसपा को अपने साथ लेने की कवायद में हैं. सूत्रों की मानें तो विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में शामिल लोगों ने मायावती से संपर्क साधा है. ऐसे में मायावती ने विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में शामिल होने के लिए एक बड़ी शर्त रख दी है, जिसे लेकर मुंबई में होने वाली बैठक में बातचीत की जाएगी. ऐसे में बसपा की शर्तों पर सहमति बनती है तो फिर मायावती विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होंगी.

सूत्रों की मानें तो विपक्षी गठबंधन ने बसपा प्रमुख से INDIA में शामिल होने के लिए संपर्क साधा है, लेकिन मायावती ने यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 40 सीटों की डिमांड रखी है. सूबे की आधी सीटें बसपा मांग रही है, जिसे लेकर विचार-विमर्श के बाद ही उसे लेकर फैसला किया जाएगा. गठबंधन की ओर से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने मायावती से बात की है, इसी दौरान मायावती ने पार्टी का रुख उनके सामने रखा और अपनी डिमांड भी बताई. विपक्षी गठबंधन INDIA की मुंबई में होने वाली 31 अगस्त और एक सितंबर की बैठक में मायावती के साथ गठबंधन और उनकी सीटों की शर्तों को रखा जाएगा. इसके बाद विपक्षी गठबंधन के बीच सहमति बनती है तो बसपा INDIA का हिस्सा बन सकती है.

दरअसल, मायावती लगातार यह बात कह रही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. बसपा न ही NDA का और न ही INDIA का हिस्सा होगी बल्कि अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी. मायावती भले ही गठबंधन से इंकार कर रही हों, लेकिन उनकी पार्टी के नेता और कई मौजूदा सांसद दबी जुबान से गठबंधन के पक्ष में बयानबाजी कर चुके हैं. इसकी वजह यह है कि बसपा के अकेले चुनाव लड़ने का हश्र सभी सांसद, विधायक 2014 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में देख चुके हैं.

बसपा के लिए फायदेमंद है गठबंधन!

बसपा को गठबंधन की सियासत में हमेशा ही राजनीतिक लाभ मिला है. 2019 में गठबंधन के चलते बसपा जीरो से 10 सांसदों पर पहुंच गई. 2022 में अकेले चुनाव लड़ने के चलते बसपा यूपी में एक सीट पर सिमट गई थी. 2014 में बसपा का खाता भी नहीं खुला था. इसके चलते ही बसपा के नेता भी गठबंधन के पक्ष में खड़े हैं. पिछले दिनों बसपा सांसद मलूक नागर ने भी गठबंधन के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि बसपा के पास यूपी में 13 फीसदी वोट है, जो किसी भी दल के साथ जुड़ने पर हार जीत में बदल सकता है.

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मायावती ने बुधवार लखनऊ में बड़ी बैठक की थी, जिसमें उन्होंने गठबंधन से इंकार किया था. बसपा प्रमुख मायावती ने साफ शब्दों में कहा था कि गठबंधन करने पर उनका वोट ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन सहयोगी दल के वोट उन्हें नहीं मिलते हैं. इसी बात को लेकर बार-बार कहती रही हैं कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने यह बात जरूर कही थी कि चुनाव के बाद गठबंधन कर सकती हैं.

यूपी में कौन है इंडिया का साथी?

विपक्षी गठबंधन INDIA को देखें तो यूपी में सपा, आरएलडी और कांग्रेस शामिल है. ऐसे में कांग्रेस का एक धड़ा शुरू से ही बसपा के साथ गठबंधन करने की पैरवी करता रहा है. सूत्रों की मानें तो दलित वोटों को जोड़ने के लिए कांग्रेस के कुछ नेता पर्दे के पीछे से बसपा प्रमुख मायावती से गठबंधन के लिए बातचीत भी तैयार कर रहे थे, क्योंकि बसपा के साथ आने का सियासी फायदा सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी हो सकता है.

मायावती भी इस बात को बाखूबी तरीके से समझ रही हैं, जिसके चलते ही उन्होंने यूपी की आधी संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने का अपना दावा कर दिया है. विपक्षी गठबंधन में सपा भी शामिल है. अखिलेश यादव इसके पक्ष में नहीं है कि मायावती का गठबंधन में शामिल हों, लेकिन कांग्रेस नेता बसपा को लेने के पक्ष में है. मुंबई में होने वाले विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस यह बात रखेगी ताकि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की राय ली जा सके. सपा और आरएलडी तैयार हो जाती है तो फिर बसपा विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होगी, लेकिन सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फंस सकता है.

अकेले चुनाव क्यों लड़ना चाहती थी बसपा?

बता दें कि मायावती अकेले चुनाव लड़ने की बात इसीलिए कर रही हैं, क्योंकि बसपा की सियासी हैसियत फिलहाल ऐसी नहीं है, जिसे दम पर गठबंधन में बार्गेनिंग कर सकें. बसपा के पास यूपी में एक विधायक है, इस आधार पर कैसे सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बात कर सकेंगी. मायावती दूसरे दलों के नेता की तरह नहीं है कि वो गठबंधन में शामिल होकर सिर्फ सीट लेकर चुनाव लड़ जाएं. मायावती किसी भी गठबंधन का हिस्सा तभी बनेंगी, जब उन्हें अहम रोल में रखा जाए. विपक्षी गठबंधन INDIA का समाजवादी पार्टी हिस्सा है. यूपी में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व अखिलेश यादव के हाथों में है. ऐसे में मुंबई बैठक से बसपा को लेकर क्या सहमति बनती है, इस पर सभी की निगाहें होगी?

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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