नई दिल्ली. दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग को अपने इन-हाउस स्कूल को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिसका इस्तेमाल विशेष रूप से उच्चायोग के सदस्यों द्वारा किया जाता था। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग के अंदर चल रहे स्कूल को बंद कर दिया है, जिसके बाद स्कूल में कार्यरत सभी कर्मचारी, जिनमें से सभी भारतीय नागरिक थे, उनकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है।
इस अभूतपूर्व कदम के लिए पाकिस्तान के सामने मौजूद आर्थिक और वित्तीय संकट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बताया गया है, कि पाकिस्तानी दूतावास स्कूल चलाने में आने वाली खर्च को पूरा नहीं पर रह था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कूल चलाने के लिए हर दिन आने वाले खर्च और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में भी परेशानी हो रही थी, जिसके बाद स्कूल को बंद करने का फैसला लिया गया।
पाकिस्तान की दलील क्या है?
हालांकि, पाकिस्तानी उच्चायोग ने शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को जो नोटिस जारी किया गया है, उसमें बहाना बनाया गया है, कि स्कूल को बंद करने के बीच ‘कम नामांकन’ जिम्मेदार है। संडे गार्जियन ने टर्मिनेशन लेटर को एक्सेस किया है जो आयोग ने अपने अधिकारियों को जारी किए हैं। इन नोटिस पर पाकिस्तानी प्रभारी सलमान शरीफ के हस्ताक्षर हैं। इस स्कूल में लगभग 30 छात्र नामांकित थे, जिनमें से लगभग 25 को “बाहरी” स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसका खर्च संबंधित माता-पिता को स्वयं वहन करना था।
इसके बाद पांच छात्रों के लिए एक प्रधानाध्यापक, छह शिक्षक और एक गैर-शिक्षण कर्मचारी वाला पूरा स्कूल चलाना संभव न होने का तर्क देकर पिछले महीने स्कूल को बंद कर दिया गया। मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, अगले महीने पाकिस्तान में जो नया बजट पेश किया जाएगा, उसमें दिल्ली के स्कूल के लिए कोई बजट आवंटन नहीं किया जाएगा। वहीं, घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने कहा, कि इस्लामाबाद में वित्तीय संकट ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां दिल्ली में तैनात कर्मचारियों के वेतन में देरी और कटौती की जा रही है। बताया गया है, कि कई कर्मचारियों और अधिकारियों को पिछले 3 सालों से सैलरी नहीं मिली है।
वहीं, स्कूल के शिक्षण कर्मचारियों को 5-6 महीने से अंतराल के बाद उनका वेतन मिल रहा था। वहीं, संडे गार्जियन ने प्रतिक्रिया के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग से संपर्क किया, लेकिन उच्चायोग की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।
पाकिस्तान की स्थिति खराब
पिछले साल अप्रैल में, साइबेरिया में पाकिस्तानी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने एक ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था, कि कर्मचारियों को पिछले तीन महीनों से उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसा ही एक ट्वीट तब अर्जेंटीना में दूतावास के हैंडल से भी शेयर किया गया था, जिसमें कहा गया था, कि अधिकारियों को कई महीने से सैलरी नहीं मिली है। उस वक्त पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार थी। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अमेरिका में अपने एक पुराने दूतावास की बिल्डिंग को भी बेच दिया है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि उन देशों में, जहां बिना अधिकारियों के काम चलाया जा सकता है, वहां पर पाकिस्तान ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं।
आपको बता दें, कि पाकिस्तान गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है और जून में पाकिस्तान के दिवालिया होने की आशंका है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान ने बेलऑउट पैकेज के लिए चीन से गुहार लगाई है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है, कि अगर चीन इस बार पाकिस्तान को बचा भी ले, फिर भी पाकिस्तान अगले साल तक 27 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज कहां से चुका पाएगा, लिहाजा उसका दिवालिया होना तय है।
साभार : वन इंडिया
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