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वाहन चलाते मिले नाबालिग, तो अभिभावकों को होगी सजा, लगेगा जुर्माना

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों को रोकने के लिए नाबालिग बच्चों द्वारा वाहन चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है. अगर राज्य में 18 साल से कम किशोर/किशोरी मोटरसाइकिल, स्कूटी या कार चलाते हुए पाए जाते हैं, तो वाहन मालिक या बच्चों के सरंक्षक को तीन साल की सजा और 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि 18 साल के कम आयु के बच्चों द्वारा वाहन चलाने के कारण सड़कों पर कई सारी दुर्घटनाएं हो रही हैं. KGMU और लोहिया संस्थान द्वारा दिए गए आंकड़ों से भी पता चलता है कि सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 40 फीसदी नाबालिग बच्चे होते हैं, जिनकी आयु 12 से 18 साल के बीच होती है. इसलिए राज्य में 18 साल से कम आयु के बच्चों को वाहन चलाने से कड़ाई से रोकने के लिए कानून का पालन कराया जाएगा.

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 4 में ये प्रावधान है कि 18 साल से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी पब्लिक प्लेस पर मोटर वाहन नहीं चलाया जा सकता है. लेकिन कोई किशोर/किशोरी 16 साल की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात किसी सार्वजनिक स्थान में 50 CC से कम इंजन क्षमता की मोटरसाइकिल को चला सकता है. इसी के साथ ही धारा 5 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी मोटर वाहन का स्वामी किसी ऐसे व्यक्ति से न तो वाहन चलवा सकता है और न ही चलाने की अनुमति देगा, जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो.

हो जाएगी 3 साल की जेल

इसके अलावा मोटरवाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से किशोरों द्वारा किये जाने वाले मोटर वाहन अपराधों के संबध में एक नयी धारा 199क जोड़ी गयी है, जिसके अन्तर्गत प्राविधान किया गया है कि किसी किशोर द्वारा मोटरवाहन अपराध में किशोर के संरक्षक/मोटरवाहन के स्वामी को ही दोषी मानते हुए दण्डित किया जायेगा. इसमें किशोर/किशोरी के संरक्षक/मोटरवाहन स्वामी को 03 साल तक जेल और ₹25 हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है तथा अपराध में प्रयुक्त वाहन का रजिस्ट्रेशन 1 साल की अवधि के लिये निरस्त कर दिया जाएगा तथा ऐसे किशोर का ड्राइविंग लाइसेंस 25 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरान्त ही बन सकेगा.

साभार : जी न्यूज़

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