रविवार, दिसंबर 22 2024 | 01:31:51 PM
Breaking News
Home / राज्य / हिमाचल प्रदेश / सैलरी और पेंशन भी नहीं दे पा रही है हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार

सैलरी और पेंशन भी नहीं दे पा रही है हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार

Follow us on:

शिमला. हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट गहरा गया है। आलम ये है कि सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन नहीं दे पा रही है। हिमाचल प्रदेश के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारी और 1.50 लाख पेंशनर को सैलरी-पेंशन नहीं मिली है। ऐसा पहली बार हुआ है कि कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला है। अब केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान की 490 करोड़ रुपये की मासिक किस्त मिलने के बाद ही वेतन का भुगतान होगा। सामान्य तौर पर राजस्व घाटा अनुदान की किस्त पांच-छह तारीख को सरकार के खाते में पहुंचती है। इसके बाद 10 तारीख को केंद्रीय करों के 688 करोड़ रुपये पहुंचते हैं। ऐसे में अब इसके बाद ही पेंशन मिलेगी।

वेतन के लिए हर महीने दो हजार करोड़ रुपये की जरूरत

दरअसल, हिमाचल में सरकार के कर्मचारियों को वेतन के लिए हर महीने दो हजार करोड़ रुपये की जरूरत होती है। इसमें से वेतन के लिए 1200 करोड़ और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये चाहिए। अब हालत यह है कि सरकार को यदि केंद्र से आपदा राहत के तौर पर कोई राशि आती है तो उसे भी वेतन व पेंशन की मद में डायवर्ट नहीं किया जा सकता। इस तरह से यह संकट गंभीर हो गया है।

डबल इंजन की सरकार ने खजाने को लूटा

हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने प्रदेश में आर्थिक संकट की बातों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं । प्रदेश में कर्मचारियों की सैलरी को रोका नहीं गया बल्कि आर्थिक  सुधार किया जा रहा है। थोड़ी बहुत समस्या है प्रदेश को आगे बढ़ाना है । बोर्ड और निगम के कर्मचारियों की सैलरी पहले ही जारी कर दी गई है। सरकारी विभाग का सिस्टम को ठीक किया जा रहा है और निश्चित तौर पर जल्द ही सैलरी जारी कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वित्तिय प्रबंधन पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। हम जनता को बताना चाहते हैं कि पूर्व की डबल इंजन की सरकार ने कैसे खजाने को लूटा है। उन्होंने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

कांग्रेस सरकार की गारंटियां बनी वजह?

वही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने  प्रदेश में आर्थिक संकट की वजह कांग्रेस सरकार की गारंटियों को करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार हुआ की 3 तारीख भी जाने के बाद भी कर्मचारियों को वेतन और पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पाई है। इस हिसाब की प्रदेश में गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। हिमाचल में ऐसी स्थिति आई है कि कर्मचारियों को वेतन देने में यह सरकार असमर्थ हो गई है। सरकार को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए। हिमाचल दिवालियापन की कगार पर खड़ा हो गया है।

हर वक्त केंद्र को कोसने रहना उचित नहीं: जयराम ठाकुर

वही केंद्र द्वारा मदद नहीं करने के आरोपों पर जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र से रिवेन्यू डेफिसेन्ट ग्रांट हिमाचल को मिलती है। 6 तारीख  को उसकी किस्त आएगी। उसे रोका नहीं गया है । इसके अलावा केंद्र से क्या मदद चाहिए? प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि प्रदेश में आर्थिक संकट है। हर वक्त केंद्र को कोसने रहना उचित नहीं है। प्रदेश में  सरकार कांग्रेस की है तो उनकी जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि सत्ता को हासिल करने के लिए कांग्रेस ने झूठी गारंटी दी। सरकार गारंटी को लागू करने लगी तो प्रदेश में  आर्थिक संकट में आ गया । प्रदेश में आर्थिक संकट के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण है, जिस तरह से कांग्रेस फ्रीवेज के तहत राहुल गांधी का  खटाखट का फार्मूला है, इससे दूसरे प्रदेशों की आंखें भी खुल गई हैं कि जो झूठी गारंटी दी जाती है तो उसका यही हश्र  होगा। कर्मचारियों को समय पर सैलरी नहीं मिलेगी और आने वाले समय में हिमाचल में संकट और भी गहरा हो जाएगा।

 सैलरी में देरी से कर्मचारी हो रहे परेशान

वहीं कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सैलरी कब आएगी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक सूचना दी है। कर्मचारियों को इधर-उधर से उधार लेकर खर्चा चलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों को बिजली, पानी, राशन इत्यादि के बिल देने होते हैं जो नहीं दे पा रहे हैं। ईएमआई पर भी असर हो रहा है। बैंक से कर्मचारियों को फोन आ रहे हैं और कुछ को तो पेनल्टी भी लग गई है। जो कर्मचारी सरकार के खिलाफ़ आवाज उठा रहा है उसके तबादले किए जा रहे हैं। बता दें कि हिमाचल सरकार पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज और 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदारियां बकाया है। सरकार की आमदनी का ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन, पुराना कर्ज लौटाने में खर्च हो रहा है। केंद्र से भी निरंतर बजट में कटौती हो रही है। इससे सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है।

साभार : इंडिया टीवी

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

मुख्यमंत्री सुक्खू के पास समोसा नहीं पहुंचने की हुई सीआईडी जांच

शिमला. भाजपा विधायक एवं मीडिया विभाग के प्रभारी रणधीर शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश …