लखनऊ. उत्तर प्रदेश में संभल में जामा मस्जिद के लिए सर्वे के दौरान शुरू हुई हिंसा का मामला अब तक शांत भी नहीं हुआ है कि इससे पहले अब बदायूं में हिंसा भड़काने को लेकर बहस छिड़ गई है. दरअसल, हिंदू पक्ष ने बदायूं की जामा मस्जिद पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है. इस पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसंबर तय की है. बता दें कि इस मामले को लेकर ना सिर्फ यूपी में बल्कि देशभर में राजनीति हो रही है.
जानें क्या है बदायूं जामा मस्जिद विवाद?
दरअसल, 2022 में बदायूं के जामा मस्जिद में महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया गया था. पिछले दो साल से इस मामले में सुनवाई जारी है. हिंदू पक्ष ने याचिका दायर कर दावा किया है कि पहले यहां पर नीलकंठ महादेव मंदिर था, लेकिन इसे तोड़कर उसकी जगह जामा मस्जिद का निर्माण किया गया है.
10 दिसंबर को अगली सुनवाई
वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर था ही नहीं. यहां मूर्ति होने का कोई सबूत मिली ही नहीं है. कोर्ट ने मंगलवार को दोनों पक्षों को सुना, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. 10 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. बता दें कि संभल में भी शाही जामा मस्जिद को लेकर यह दावा किया गया था कि पहले वहां हरिहर मंदिर था.
बदायूं मस्जिद में नीलकंठ मंदिर होने का दावा
इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद में सर्वे के लिए एक टीम को भेजा था और 29 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन जैसे ही सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंची. वहां मौजूद पुलिसबल पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई. इस पथराव में कई एसपी समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुई. इतना ही नहीं उपद्रवियों ने वहां मौजूद गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया था. घटना में चार लोगों की जान भी चली गई. वहीं, FIR दर्ज कर पुलिस ने सपा नेता समेत कई लोगों को हिरासत में ले चुकी है. अभी भी पुलिस की कार्रवाई जारी है.
साभार : न्यूजनेशन
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