नई दिल्ली. बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की अंतरिम जमानत याचिका पर आज (5 सितंबर) दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पूजा ने कोर्ट से कहा कि वह अपनी विकलांगता की जांच AIIMS में कराने को तैयार हैं। दरअसल, 4 सितंबर को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि पूजा की तरफ से UPSC में जमा कराए गए दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट में से एक फर्जी होने का शक है।
इस पर पूजा ने कहा कि मैं अपनी मेडिकल जांच कराने को तैयार हूं। पहले इन्होंने कहा कि मैंने अपना नाम बदलकर एग्जाम दिया। अब ये कह रहे हैं कि मेरी विकलांगता पर भी संदेह है। ऐसा है तो मैं AIIMS जाने को तैयार हूं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि पुलिस ने मामले में और जांच करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है, इसलिए मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। तब तक खेडकर को गिरफ्तारी से मिली राहत जारी रहेगी।
कोर्ट रूम में
दिल्ली पुलिस के वकील: पूजा खेडकर ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने के लिए अहम जानकारी छिपाई कि वे परीक्षा देने के एलिजिबल ही नहीं थीं।
खेडकर के वकील: पुलिस ने इस मामले में दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट में पूजा खेडकर को हिरासत में लेकर पूछताछ की मांग नहीं की है। वैसे भी इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि सभी रिकॉर्ड्स अधिकारियों के पास पहले से ही मौजूद हैं।
पुलिस के वकील: इस साजिश की तह तक जाने और इसमें शामिल अन्य लोगों का पता लगाने के लिए पूजा की कस्टडी जरूरी है।
हाईकोर्ट: पुलिस को जांच के लिए दस दिन का समय दे रहे हैं। अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। तब तक खेडकर की गिरफ्तार पर रोक जारी रहेगी।
बुधवार को पुलिस ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की
दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार (4 सितंबर) को नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर जानकारी दी कि सस्पेंड की गई ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जमा कराए थे, इसमें से एक सर्टिफिकेट फर्जी होने का शक है। दिल्ली पुलिस ने इस स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि हमने UPSC की तरफ से जमा कराए गए डॉक्यूमेंट की जांच की। इसमें सामने आया कि पूजा खेडकर ने सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन- 2022 और 2023 के दौरान दो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट (मल्टीपल डिसेबिलिटी) जमा कराए थे, जो उनके (पूजा के) मुताबिक महाराष्ट्र के अहमदनगर की मेडिकल अथॉरिटी की तरफ से जारी किए गए थे। पुलिस ने अहमदनगर मेडिकल अथॉरिटी ने इन दोनों सर्टिफिकेट की जांच कराई। अथॉरिटी ने बताया- ‘हमारे सिविल सर्जन के ऑफिस रिकॉर्ड के मुताबिक डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट (मल्टीपल डिसेबिलिटी) नंबर MH2610119900342407 को इस अथॉरिटी ने जारी नहीं किया। लिहाजा इस बात की संभावना है कि इस डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट को जाली तरीके से बनाया गया है।’
साभार : दैनिक भास्कर
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