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चंद्रबाबू नायडू फिर हो सकते हैं एनडीए में शामिल, की अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात

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अमरावती. तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है. संकेत मिल रहे हैं कि दोनों दल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आंध्र प्रदेश में हाथ मिला सकते हैं. राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे. नायडू ने गृह मंत्री के आवास पर शाह से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि बैठक में नड्डा भी मौजूद थे. यदि नायडू भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में लौटते हैं तो वह जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्ष से नाता तोड़कर पिछले महीने उसके खेमे में शामिल होने के बाद ऐसा करने वाले दूसरे प्रमुख क्षेत्रीय नेता होंगे.

सूत्रों ने कहा कि टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के साथ हाथ मिलाने के इच्छुक हैं और सत्तारूढ़ दल के एक वर्ग का मानना है कि नायडू के साथ गठबंधन से एनडीए को वाईएसआर कांग्रेस शासित राज्य में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि एनडीए में नायडू सत्तारूढ़ गठबंधन को अपनी सीटें बढ़ाने में मदद करेंगे.

संसद में प्रधानमंत्री का दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संसद में कहा था कि अप्रैल-मई में 543 सदस्यीय सदन के लिए होने वाले संभावित चुनाव में उनकी पार्टी को 370 सीटें मिलेंगी और एनडीए 400 को पार कर जाएगा. भाजपा के पास वर्तमान में आंध्र प्रदेश से कोई लोकसभा सदस्य नहीं है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन यह सब इस पर निर्भर करेगा कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी कितनी सीटें देने पर सहमत होती है, खासकर लोकसभा चुनावों के लिए.

आंध्र प्रदेश में भाजपा छह से आठ सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक

दोनों ने 2014 का चुनाव एक साथ मिलकर लड़ा था जब तेलंगाना औपचारिक रूप से आंध्र प्रदेश से अलग नहीं हुआ था. भाजपा ने तब संयुक्त राज्य की 42 सीटों में से तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी पर जीत हासिल की थी.सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना के गठन के बाद आंध्र प्रदेश में 25 सीटें हैं और भाजपा छह से आठ सीटों के बीच कहीं भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है.

नये राजनीतिक समीकरणों की संभावना

टीडीपी 2018 में एनडीए से बाहर हो गई थी, लेकिन 2019 के चुनावों में उसे बड़ी हार झेलनी पड़ी जब वह केवल तीन लोकसभा सीटें जीत सकी और राज्य में वाईएसआर कांग्रेस के हाथों सत्ता खो दी, जिसने कई प्रमुख मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन किया था. हालांकि, राजनीतिक समीकरणों ने भाजपा को टीडीपी के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने की संभावना तलाशने के लिए मजबूर कर दिया है. जो लंबे समय से इस पर गंभीरता से विचार कर रही है.अभिनेता पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जन सेना पार्टी जो भाजपा की सहयोगी थी, पहले ही टीडीपी के साथ हाथ मिलाने का फैसला कर चुकी है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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