अल्मोड़ा. अंडरवर्ल्ड माफिया और तस्कर के तौर पर अपनी पहचान रखने वाला एक दुर्दांत अपराधी अब महामंडलेश्वर बन गया है। 14 साल पहले 10 दिसम्बर 2010 को विदेश से गिरफ्तारी के बाद से उम्रकैद की सजा काट रहे प्रकाश पांडे अब संत बनकर समाज को धर्म और नैतिकता से नाता कर लिया। उत्तराखंड के अल्मोड़ा की जेल में बंद कुख्यात डॉन प्रकाश पांडेय को अब स्वामी प्रकाशानंद के नाम से जाना जाएगा। जूना अखाड़ा की तरफ से अल्मोड़ा पहुंचे अखाड़ा के महंतों ने उन्हें जिला जेल में दीक्षा दी। इसके साथ ही उन्हें जूना अखाड़े के कई मठों, आश्रमों का उत्तराधिकारी भी घोषित किया गया है।
श्रीपंचदसनांग जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरी ने बताया कि प्रकाशानंद गिरी ऊर्फ प्रकाश पांडे पीपी की तरफ से धार्मिक क्षेत्र में जाने की इच्छा जताई गई थी। अल्मोड़ा जेल के एसपी जयंत पंगति ने बताया कि बीते दिनों कुछ सन्यासी और धार्मिक संत जेल में प्रकाश से मुलाकात करने आए थे। मुलाकात के दौरान धर्म पर चर्चा हुई जो उनका निजी विषय है। इसमें जेल प्रशासन का कुछ भी लेना-देना नहीं है। विगत 17 मार्च को प्रकाश पांडेय ने अल्मोड़ा जेल प्रशासन को एक पत्र लिखकर जीवन में किए अपराधों पर पश्चाताप कर संन्यासी बनने की अनुमति मांगी थी। तब काठमांडू के नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने दावा किया है।
उन्होंने दो महीने पहले अल्मोड़ा जेल के अंदर जेल प्रशासन की निगरानी में प्रकाश पांडे को संन्यास की दीक्षा दिलाई। PP को भगवा वस्त्र और कंठा भी पहनाया गया है। नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने बताया कि 28 मार्च को हर्षण योग युक्त अमृत वेला में डिस्ट्रिक जेल अल्मोड़ा में पीपी की संन्यास दीक्षा संपन्न हुई। पंचदशनाम जूना अखाड़ा हरिद्वार ने अल्मोड़ा कारागार में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को गुरु दीक्षा दी और अपने अखाड़े में शामिल किया। अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे को पहाड़ों के विभिन्न मंदिर जिनमें से मुख्य गंगोत्री भैरव मंदिर, गंगोलीहाट के त्र्यंबकेश्वर मंदिर महादेव, मुनस्यारी में कालिका माता मंदिर, काला मुनि मंदिर का मुख्य महंत बनाया गया।
कतिपय व्यक्तियो द्वारा प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी जेल मे महंत उपाधी पर जांच
अल्मोड़ा जेल में निरुद्ध प्रकाश पांडे उर्फ को पीपी को जेल में कतिपय व्यक्तियों द्वारा महंत पद की दीक्षा दिए जाने के प्रकरण में विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल ने अपर महानिरीक्षक, कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग यशवंत चौहान को जांच अधिकारी नामित किया है। प्रकरण में जेल के अंदर दीक्षा दिए जाने के संबंध में आवश्यक जांच कर एक सप्ताह में जांच आख्या शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रकाश पांडे मूल रूप से नैनीताल जिले के छोटे गांव खनौइया का रहना वाला है। प्रकाश पांडे की मां का इसके बचपन में ही देहांत हो गया था। प्रकाश पांडे का परिवार मूल रूप से खनौइया गांव का था और रानीखेत शहर में आ बसा था। प्रकाश तब छोटा ही था जब उसकी मां का देहांत हो गया प्रकाश पांडे के पिता फौजी थे। और फौज से रिटायर उसके पिता लक्ष्मी दत्त पांडे ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां ले आने के चलते उसकी अपने पिता से नाराज़गी रहती, जो एक दिन इतनी बढ़ गई कि प्रकाश अपने पिता को छोड़ गांव चला गया और अपने मामा-मामी के साथ रहने लगा।
बचपन की इस उठापटक ने प्रकाश पांडे को विद्रोही स्वभाव का किशोर बना दिया था। चेहरे से शांत दिखने वाले प्रकाश ने पहली मारपीट स्कूल में तब की जब वो आठवीं कक्षा में था। ख़ुद से दो क्लास सीनियर एक छात्र को जब प्रकाश ने पीटा तो उसका नाम पूरे स्कूल में चर्चित हो गया। यहीं से उसने दादागिरी का पहला स्वाद चखा। 90 के दशक का एक डॉन अब जूना अखाड़े के कई मठों और आश्रमों का उत्तराधिकारी बन गया है। लोगों का कहना है कि जिसके हाथ खून से सने हों। जिस पर हत्या, फिरौती, रंगदारी के कई मामले चल रहे हों, खुद वो जेल में बंद हो और उस अपराधी को कई मंदिरों और मठों के संचालन की जिम्मेदारी दे दी जाएगी तो भला समाज को क्या संदेश जाएगा।
मा.स./विक्रम सिंह