नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) से दो नए समन मिले हैं, जिनमें एक दिल्ली शराब नीति मामले में और दूसरा दिल्ली जल बोर्ड घूस केस से संबंधित है. केजरीवाल की कैबिनेट सहयोगी आतिशी ने कहा, “कोई नहीं जानता कि यह डीजेबी (दिल्ली जल बोर्ड) मामला किस बारे में है. यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक बैकअप प्लान लगता है.”
केजरीवाल को दिल्ली जल बोर्ड मामले में सोमवार को और शराब नीति मामले में गुरुवार को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है. उन्होंने शराब नीति मामले में अब तक आठ समन को अवैध बताते हुए उन्हें तवज्जो नहीं दी और पूछताछ में शामिल नहीं हुए हैं. शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने अरविंद केजरीवाल को ईडी के समन पर पूछताछ के लिए पेश न होने के मामले में जमानत दी थी.
शराब नीति मामले में नौवें समन पर प्रतिक्रिया देते हुए एक भाजपा नेता ने कहा कि केजरीवाल कानून से भाग रहे हैं और उन्हें एजेंसी द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देना चाहिए. दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कहा, “ईडी ने कानून के मुताबिक समन जारी किया है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री इससे भाग रहे हैं… और केवल वही जानते हैं कि ऐसा क्यों है? वैसे, उन्हें पीड़ित कार्ड खेलने की आदत है.”
वहीं, आप नेता आतिशी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के कुछ घंटों बाद समन मिला, उन्होंने भाजपा पर अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. ईडी 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रहा है, जिससे कथिततौर पर कुछ शराब डीलरों को फायदा हुआ था. आम आदमी पार्टी ने आरोपों से इनकार किया है. दिल्ली की शराब नीति मामले में हाल ही में बीआरएस नेता के. कविता को गिरफ्तार किया गया.
दिल्ली जल बोर्ड मामले में केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक टेंडर से रिश्वत का पैसा चुनावी फंड के रूप में AAP को दिया गया था. जांच के दौरान ईडी ने फरवरी में केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, आप सांसद एनडी गुप्ता, पूर्व डीजेबी सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल से जुड़े स्थानों पर छापा मारा. जनवरी में रिश्वत मामले में रिटायर चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, अरोड़ा ने एक कंपनी एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को डीजेबी का ठेका 38 करोड़ रुपये में दिया था, जबकि कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थी.
साभार : एनडीटीवी
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