जम्मू. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद के डॉ. फारूक अब्दुल्ला को लेकर दिए गए बयान से राजनीति गरमा गई है। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उनके ऐसे बयान सुन कर हैरानी होती है। उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे प्रधानमंत्री मोदी या अमित शाह से मिलना है तो मैं दिन में ही मिलूंगा। रात में किस कारण से मिलूंगा। अफसोस है कि वह जोर देकर कह रहे हैं। लगता है कि वह बदनाम करना चाहते हैं।’ फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि उन्हें (गुलाम नबी आजाद को) याद रखना चाहिए जब कोई नहीं चाहता था कि उन्हें राज्यसभा की सीट मिले, तो उनके कहने पर ही सीट दी गई।
उन्होंने कहा, ‘2014 में फिर से जब राज्यसभा की सीट मिलनी थी तो उस समय मैं विदेश में इलाज करवा रहा था। उस समय सोनिया गांधी ने उमर से सीट के लिए कहा था। उमर ने फोन कर बताया था, जिसके बाद मेरे कहने पर ही सीट दी गई।’ वहीं, उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर किए पोस्ट में लिखा, ‘वाह भाई वाह गुलाम नबी आजाद, आज इतना गुस्सा। वह गुलाम कहां है जो 2015 में जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा सीट के लिए हमसे गुहार लगा रहा था?’
उमर ने आगे कहा कि गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि उमर को 370 के बारे में पता था। तो फिर भी हमें पीएसए के तहत आठ माह से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया और आप स्वतंत्र थे। आपको अपना मंत्री का बंगला रखने की अनुमति है? उस पद्म पुरस्कार को न भूलें जिसके लिए आप कांग्रेस छोड़ने और चिनाब घाटी में भाजपा की मदद करने के लिए सहमत हुए थे।’
मैने कभी यह दावा नहीं किया : आजाद
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘मैंने कभी यह दावा नहीं किया कि वह (फारूक अब्दुल्ला) उनसे (पीएम मोदी) मिले थे। मैंने कहा कि दिल्ली में सूत्रों से पता चला है कि वह केंद्रीय नेतृत्व से मिलने की कोशिश करते हैं, वह भी सिर्फ रात में। मैंने कभी नहीं कहा कि उनसे मुलाकात हुई या अपॉइंटमेंट मिला।’
डीपीएपी के मुख्य प्रवक्ता का पलटवार
डीपीएपी के मुख्य प्रवक्ता सलमान निजामी ने उमर अब्दुल्ला के पोस्ट पर पलटवार करते हुए डॉ. फारूक का प्रधानमंत्री के साथ पुराना फोटो जारी किया है। इसमें नेकां सांसद हसनैन मसूदी भी हैं। साथ ही पोस्ट में लिखा कि उमर अब्दुल्ला एनडीए के साथ अपने पिछले गठबंधन और भाजपा में मंत्री के तौर पर अपनी भूमिका से इनकार नहीं कर सकते। अनुच्छेद 370 हटने से कुछ ही दिन पहले उन्होंने अन्य सांसदों के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी। वह अपने पूर्व सलाहकार दविंदर राणा के इस दावे का खंडन क्यों नहीं करते कि वह अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद भी भाजपा के साथ गठबंधन की मांग कर रहे थे? ये जनता है सब जानती है।
साभार : अमर उजाला
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