नई दिल्ली. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ वाले बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व देता है। अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का अधिकार है। हमारे विचार भी अलग-अलग हैं। अमेरिका के साथ हमारी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी हमें एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए कुछ मुद्दों पर असहमत होने के लिए सहमत होने की गुंजाइश देती है।
क्या कहा था एरिक गार्सेटी ने?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद अमेरिका भड़क गया था। इसके बाद एक कार्यक्रम में एरिक गार्सेटी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। गार्सेटी ने कहा था कि ‘कोई युद्ध दूर नहीं है’। संघर्ष के समय रणनीतिक स्वायत्तता लागू नहीं होती है। हालांकि वे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान करते हैं।
भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को पसंद करता है
गार्सेटी ने कहा था कि मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को पसंद करता है, लेकिन संघर्ष के समय में रणनीतिक स्वायत्तता जैसी कोई चीज नहीं होती। संकट के समय हमें एक-दूसरे को जानने की जरूरत होगी। मुझे परवाह नहीं है कि हम इसे क्या नाम देते हैं, लेकिन हमें यह जानने की जरूरत है हम भरोसेमंद दोस्त, भाई-बहन और जरूरत के समय में सहयोगी हैं।
हितकारी सभी मुद्दों पर करते हैं चर्चा: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ” भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक, रणनीतिक, वैश्विक साझेदारी है। हमारे पास चर्चा करने के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं और दोनों पक्ष कई पहलुओं पर एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और हम उन सभी मुद्दों पर चर्चा करते हैं जो दोनों पक्षों के लिए हितकारी हैं। राजनयिक बातचीत का विवरण साझा करना हमारी प्रथा नहीं है।”
साभार : दैनिक जागरण
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