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बीस सालों में तीस हजार हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि खत्म हो गयी

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देहरादून. सख्त भू कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड की जनता के सड़कों पर उतरने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनभावना के अनुरूप एक आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत राज्य से बाहरी लोगों के उत्तराखंड में जमीन खरीदने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। धामी सरकार ने भू कानूनों में बदलाव के लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी के सुझावों पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी सुझाव के तहत सरकार ने यह कदम उठाया है। उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा किसी भी दर पर जमीन खरीदी जा रही थी, जिसके बाद से उत्तराखंड में जनसंख्या असुंतलन की समस्या सामने आने लगी है। इसी समस्या के मद्देनजर देहरादून में विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था।

उत्तराखंड में पिछले बीस सालों में तीस हजार हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि खत्म हो गई है। शहरों से लगी कृषि भूमि तो लगभग समाप्त हो गई है। बाहरी राज्यों के लोग यहां आकर औने-पौने दामों में जमीनों की खरीद फरोख्त करके पहाड़ को कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर रहे हैं। साथ ही बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी पहाड़ों की तरफ रुख कर रही है जिसको लेकर स्थानीय लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। उत्तराखंड में हिमाचल की तरह सशक्त भू.कानून होना चाहिए इसके लिए पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान युवाओं ने सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया था तब धामी सरकार ने पूर्व आईएएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता एक समिति बनाई थी। उस समय समिति ने सिफारिश की थी कि तत्काल प्रभाव से बाहरी लोगों के द्वारा कृषि भूमि की खरीद पर रोक लगाई जाए।

सुभाष कुमार समिति ये भी सिफारिश कर रही है कि स्थानीय मूल निवासी लोगों की पूरी जमीन भी नहीं बिकने दी जाए ताकि उनका रकबा उत्तराखंड के भूमि दस्तावेजों में कायम रखा जा सके। सरकार इस पर भी विचार कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि यदि पहाड़ी क्षेत्रों में कोई स्टार्टअप शुरू करना चाहता है तो सरकार इसकी अनुमति देगी लेकिन जिला अधिकारियों को अब बाहरी लोगों को अनुमति देने के अधिकार से वंचित किया गया है। उधर स्थानीय संगठन उत्तराखंड में चकबंदी लागू किए जाने की भी मांग कर रहे हैं जोकि पिछले कई दशकों से यहां नही हुई है। चकबंदी नहीं होने से परिवारों में भूमि के बंटवारे आदि नहीं हो पा रहे हैं और उससे जमीन के टाइटल सामने नहीं आ पा रहे है।

मा.स./विक्रम सिंह

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