मास्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत देने से जुड़े एक फैसले को मंजूरी दे दी है। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, अगर कोई देश किसी परमाणु शक्ति वाले देश के साथ मिलकर रूस पर मिसाइल हमला करता है, तो ऐसी हालात में मॉस्को न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल किया जा सकता है।दरअसल, दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन को रूस के भीतर लंबी दूरी के मिसाइलों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी थी, जिसके बाद पुतिन ने यह फैसला किया। पुतिन ने परमाणु हथियार से जुड़े नए आदेश पर दस्तखत यूक्रेन जंग के 1000 दिन पूरे होने पर किया है। अमेरिका ने यूक्रेन को आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। यह मिसाइल सिस्टम 300 किमी तक सटीक हमला कर सकता है।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा था इजाजत का मतलब NATO का युद्ध में उतरना समझा जाएगा
पिछले कुछ समय से अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल इस्तेमाल करने की इजाजत देने पर विचार कर रहे थे। इस पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने चेतावनी दी थी कि ऐसे हथियारों के इस्तेमाल करने की इजाजत देने का मतलब यह समझा जाएगा कि NATO, रूस के खिलाफ जंग में उतर चुका है। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका जवाब जरूर देंगे। पुतिन ने एक सरकारी टीवी चैनल पर कहा था कि अमेरिका के यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल इस्तेमाल करने की इजाजत देने से बहुत कुछ बदल जाएगा। इन हथियारों का इस्तेमाल सैटेलाइट के बिना संभव नहीं है। यूक्रेन के पास ऐसी तकनीक नहीं है। यह केवल यूरोपीय यूनियन के सैटेलाइट या फिर अमेरिकी सैटेलाइट की मदद से ही हो सकता है।
पुतिन ने यह भी कहा था कि सिर्फ NATO सैन्यकर्मियों ने ही इन मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग ले रखी है। यूक्रेनी सैनिक ये मिसाइल ऑपरेट नहीं कर सकते। लंबे समय से अमेरिका से इजाजत मांग रहा था यूक्रेन यूक्रेन लंबे समय से अमेरिका और ब्रिटेन से लंबी दूरी तक हमला करने वाले हथियारों का इस्तेमाल करने की इजाजत मांग रहा था। दरअसल अमेरिका ने अक्टूबर 2023 में ही यूक्रेन को लंबी दूरी की आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दी थीं। लेकिन शर्तों के मुताबिक वह इसका इस्तेमाल दुश्मनों के खिलाफ अपनी ही जमीन के भीतर कर सकता था। अब वह पाबंदी हटा दी गई हैं। इससे पहले फ्रांस ने भी यूक्रेन को लंबी दूरी की स्टॉर्म शैडो मिसाइल दी थीं। यह 250 किलोमीटर तक टार्गेट पर निशाना लगा सकती है। लेकिन उसकी भी ये शर्त थी कि इसका इस्तेमाल अपनी सीमा के भीतर तक ही हो।
साभार : दैनिक भास्कर
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