इस्लामाबाद. पाकिस्तान में चीन की मदद से बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी (GPA) पर बुधवार शाम हमला हुआ। ग्वादर के कॉम्प्लेक्स में कई धमाके और फायरिंग हुई। यहीं एक पासपोर्ट ऑफिस भी है, जो धमाके में तबाह हो गया। पाकिस्तानी मीडिया ‘जियो न्यूज’ के मुताबिक फौज ने अब तक 8 बीएलए के सदस्यों के मारे जाने की बात कही है। मारे गए आठों लोग बलूचिस्तान के प्रतिबंधित संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के बताए गए हैं। यहां फौज को भेजा गया है। फौज के कुछ हेलिकॉप्टर्स ग्वादर कॉम्प्लेक्स के ऊपर उड़ान भरते देखे गए हैं। यहां धमाके भी हुए।
सिंध के चीफ मिनिस्टर सैयद मुराद अली शाह ने कहा- ग्वादर को टारगेट किया गया है। कई आतंकी मारे गए हैं। इससे ज्यादा अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फौज ने इलाके को घेर लिया है। ऑपरेशन की जिम्मेदारी उस पर ही है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिए हर लिहाज से बहुत अहम है। फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि इस हमले के पीछे कौन सा संगठन है। यह आतंकी हमला है। यद्यपि समाचार लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं हो सका था कि पाकिस्तान को इस हमले से कितना नुकसान हुआ है।
ग्वादर पोर्ट पर एक नजर
- 2013 में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के इस अहम समुद्री इलाके को चीन के हवाले किया था। यह चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC का सबसे अहम हिस्सा है।
- ग्वादर पोर्ट का शुरुआती निर्माण चीन ने किया था, मगर बाद में इसके डेवलपमेंट के लिए सिंगापुर की अथॉरिटी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। धीमी गति से चल रहे काम से पाकिस्तान संतुष्ट नहीं था। शुक्रवार को पाक कैबिनेट ने इसकी जिम्मेदारी फिर से चीन को सौंपने की इजाजत दे दी।
- पाकिस्तान चाहता है कि चीन ग्वादर पोर्ट पर अपना नौसैनिक अड्डा बना ले। चीन ऐसा करेगा या नहीं, यह अभी कहना मुश्किल है, लेकिन अब इस बंदरगाह पर चीनी युद्धपोत आ-जा सकेंगे।
- पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक चीन और पाकिस्तान मिलकर 3,000 किलोमीटर लंबा इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहे हैं। इस कॉरिडोर से चीन को ऑयल ट्रांसपोर्ट करने के लिए एक सस्ता और नया रास्ता मिलेगा। साथ ही चीन के प्रोडक्ट मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों तक पहुंचाने में आसानी होगी।
- चीन दुनिया में क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा इम्पोर्टर है। अभी चीन आने वाला 80% क्रूड ऑयल मलाका खाड़ी से होते हुए शंघाई पहुंचता है। करीब 16 हजार किमी का सफर तय करने में जहाजों को 3 महीने लगते हैं। बेहद सुस्त रफ्तार से जारी यह प्रोजेक्ट अगर पूरा होता है तो यह दूरी 5 हजार किमी तक घट जाएगी।
गुस्से में स्थानीय लोग
- दो साल पहले बलूचिस्तान प्रांत में आम नागरिकों का आंदोलन ‘ग्वादर को हक दो’ इंटरनेशनल मीडिया में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था। यह सीधे तौर पर CPEC से जुड़ा था। तब 20 हजार महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतरे थे। हालांकि पाकिस्तान के मेन मीडिया ने इस प्रदर्शन की कवरेज नहीं की थी।
- महिलाओं की रैली में एक मांग पर खास जोर दिया गया। इनका आरोप है कि पाकिस्तान आर्मी ने हजारों बेकसूर बलोच नागरिकों को अगवा किया। इन लोगों का अब तक पता नहीं लग सका है। महिलाओं की मांग है कि पाकिस्तान सरकार और फौज इस बारे में जानकारी दे। इस बारे में इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ग्रुप और बाकी मानवाधिकार संगठन भी मांग कर चुके हैं। पाकिस्तान सरकार और फौज इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती। माना जाता है कि लापता हुए लोगों में ज्यादातर बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के लोग हैं।
क्या है BLA
- अलग बलूचिस्तान प्रांत की मांग के समर्थन में 1970 में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) संगठन बना था। जब इसका दायरा और प्रभाव बढ़ने लगा तो जनरल जिया उल हक की तानाशाह सरकार के दौर में इससे बातचीत भी हुई, लेकिन मसला हल नहीं हुआ। BLA पर पाकिस्तानी फौज और सरकार के संस्थानों पर हमले के आरोप लगते रहे हैं।
- बलूच आर्मी में करीब 6 हजार लड़ाके हैं। 2006 के बाद BLA पाकिस्तान की फौज और सरकार के लिए बहुत मुश्किल चुनौती बन गई है। इसके हमलों में सैकड़ों पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं। फरवरी 2021 में तो एक ही हमले में 30 पाकिस्तानी फौजी मारे गए थे।
- बलूचिस्तान में दो मुख्य कबीले हैं। ये हैं मायरी और बुगती। हालात ये हैं कि कई इलाकों में इनके डर की वजह से पाकिस्तानी फौज जमीन पर नहीं उतरती। इसलिए हवाई हमले किए जाते हैं।
- 2004 में चीन ने बलूचिस्तान में पैर पसारना शुरू किया। BLA ने इसका विरोध किया। BLA का कहना है कि चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान उनकी संस्कृति को खत्म करना चाहता है। चीनियों को सुरक्षा देने के लिए पाकिस्तान के करीब 30 हजार सैनिक यहां तैनात किए गए हैं।
साभार : दैनिक भास्कर
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