राव उमरावसिंह उत्तर प्रदेश के दादरी भटनेर साम्राज्य के राजा थे। उनके पूरे परिवार ने 1857 की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राव उमरावसिंह का सहयोग उनके पिता किशनसिंह के भाई राव रोशनसिंह और उनके बेटे राव बिशनसिंह ने दिया। 1857 के विद्रोह से प्रेरणा लेकर इस परिवार ने आस-पास के ग्रामीणों को साथ लेकर 12 मई 1857 को सिकंदराबाद तहसील पर हमला कर दिया और यहाँ के हथियारों व खाजाने पर इनका अधिकार हो गया। बुलंदशहर से अंग्रेज सेना ने हमला कर दिया। एक सप्ताह तक दोनों में संघर्ष होता रहा, किन्तु अंत में 46 क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी से इस प्रयास में राव उमरावसिंह को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वो वहां से निकलने में सफल रहे।
उमरावसिंह ने इसके जवाब में 21 मई को बुलंदशहर जिला कारागार पर हमला बोलकर अपने सभी साथियों को छुड़ा लिया। बाहर से सेना पहुंचने के कारण अंग्रेज मजबूत हो गए, 30 मई को दो दिन तक उमरावसिंह व अंग्रेजी सेना में हिंडन नदी के तट पर संघर्ष हुआ, इसमें अंग्रेजों को हार का सामना करना पड़ा। 26 सितम्बर 1857 को कासना-सूरजपुर के मध्य उमरावसिंह और अंग्रेजों के बीच संघर्ष हुआ। तब तक अंग्रेज कई स्थानों पर क्रांति को दबा चुके थे। इसका असर उमरावसिंह और अंग्रेजों की सेना पर भी पड़ा। राव की हार हुई, उन्हें गिरफ्तार कर साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया।