रविवार, दिसंबर 22 2024 | 11:47:28 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के किसानों ने दिल्ली जाने से किया इनकार, नहीं खुलेगा शंभू बॉर्डर

बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के किसानों ने दिल्ली जाने से किया इनकार, नहीं खुलेगा शंभू बॉर्डर

Follow us on:

चंडीगढ़. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले पंजाब व हरियाणा के आला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की बुधवार को पटियाला के पुलिस लाइन में किसान जत्थेबंदियों के साथ शंभू बॉर्डर को लेकर बैठक हुई। करीब एक घंटा चली बैठक में दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी। किसानों ने बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के दिल्ली जाने से साफ इन्कार कर दिया।

बैठक में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देते हुए किसान जत्थेबंदियों को शंभू बॉर्डर खोलने के लिए कहा। जवाब में किसान नेताओं ने कहा कि रास्ता किसानों ने नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार ने बंद किया है। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने मोटर व्हीकल एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसान मांगों को लेकर केंद्र से बात करना चाहते हैं, तो फिर वह ट्रैक्टर-ट्रालियों के बिना जाएं। इस पर किसानों ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रालिया उनके लिए दूसरा घर हैं। हर मौसम में ट्रैक्टर-ट्रालियां किसानों का बचाव करती हैं। इसलिए ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ ही किसानों को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए।

पंजाब व हरियाणा के एडीजीपी (ला एंड आर्डर), एसएसपी पटियाला नानक सिंह, डीसी पटियाला शौकत अहमद परे, अंबाला के एसएसपी व डीसी ने भाग लिया। दोनों किसान जत्थेबंदियों की तरफ से भी करीब सात मेंबरों की टीम ने शिरकत की।

कमेटी के नामों पर नहीं हुई चर्चा

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बातचीत के जरिये मामले के हल को बनाई जाने वाली कमेटी के नामों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। डल्लेवाल ने कहा कि बैठक में पुलिस अधिकारियों ने मोटर व्हीकल एक्ट का हवाला देकर बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के किसानों को जाने के लिए कहा। इसके जवाब में किसानों ने कहा कि अगर एक्ट की ही बात है, तो ऐसे में ट्रैक्टर-ट्रालियां सड़क पर चढ़ ही नहीं सकती हैं। लेकिन किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में ही अपनी फसलें बेचने के लिए 50-50 किलोमीटर दूर जाते हैं।

यही नहीं 13 फरवरी को जब पंजाब के कोने-कोने से किसान शंभू व खन्नौरी बॉर्डरों पर पहुंचे थे, उस समय भी ट्रैक्टर-ट्रालियों पर ही आए थे। तब भी कानून व्यवस्था का कोई मसला खड़ा नहीं हुआ था। इसलिए जत्थेबंदियों की मांग है कि किसानों को ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ ही दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए। डल्लेवाल ने कहा कि बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि किसानों का निशाना रास्ते रोकना नहीं है। किसान केवल अपनी बात रखने के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं।

डल्लेवाल ने कहा कि किसान मांगों को लेकर बात करने के लिए केंद्र सरकार से राजी हैं। लेकिन पहले चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर सरकार ने बात करने से पल्ला झाड़ लिया। लेकिन जून में नई सरकार बनाने के बावजूद अब तक बात करने को कोई न्यौता नहीं दिया है। इससे सरकार की नीयत साफ होती है। डल्लेवाल ने कहा कि किसान बॉर्डरों पर डटे रहेंगे। रास्ते खुलते ही ट्रैक्टर-ट्रालियों पर दिल्ली के लिए कूच किया जाएगा।

साभार : अमर उजाला

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

संसद का शीतकालीन सत्र खत्म, लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए हुई स्थगित

नई दिल्ली. 18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार (20 दिसंबर) को समाप्त हो गया। यह …