कानपुर. वक्फ संशोधन बिल को लेकर कानपुर में एक बड़ी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। मुसलमान इसका विरोध क्यों करें। वक्फ बिल संशोधन के बाद मुसलमान को किस तरह से दिक्कतें पेश आएंगी। इसके साथ मुसलमान को इसका विरोध क्यों करना चाहिए, इसे लेकर बड़ी कॉन्फ्रेंस तहफजे औकाफ कॉन्फ्रेंस शहर के पटकापुर इलाके में मदरसा जामे उलूम जामा मस्जिद में की गई। इस कांफ्रेंस में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने शिरकत की।उन्होंने कहा कि वक्फ का मामला मुसलमानों के लिए कुछ इस तरह से है कि जैसे जिंदगी और मौत का मामला होता है। इसलिए मुसलमान को वक्फ संशोधन बिल का विरोध कानूनी दायरे में रहकर करना चाहिए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसी जागरूकता के लिए मुल्क भर में मुसलमानों के बीच जाकर कार्यक्रम कर रहा है।
जरूरत पड़ी तो मुसलमान जेलों को भर देंगे
इस बिल का विरोध करने की जरूरत पड़ी तो मुल्क का मुसलमान जेल को भरने का काम करेगा। जिससे कि मुल्क की जेलों में लोगों के रखने के लिए जगह भी न बचे। इस बिल का विरोध इस तरह से किया जाएगा कि हम कानून के दायरे में रहकर सब कुछ करेंगे, हम जान ले तो नहीं सकते क्योंकि हमारे दीन में यह सही नहीं लेकिन जान दे जरूर सकते हैं।
सरकार में बेरोजगारी बढ़ी है महंगाई बढ़ी है
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी सवाल के जवाब मुल्क की मौजूदा सरकार पर आप क्या कहेंगे- जब कोई अच्छा काम करता है तो वो अपने अच्छे कामों को पेश करके वोट मांगता है तो गवर्नमेंट का हाल यह है कि इस दौर में बेरोजगारी बढ़ी है, महंगाई बढ़ी है। मुल्क की सरहद महफूज नहीं है। तो अब कोई मुद्दा ऐसा नहीं है कि जिसकी बुनियाद पर ये लोगों से वोट मांग सकें। तो उसके लिए यह नफरत का एजेंडा छेड़ते हैं और उसकी बुनियाद पर वोट मांगते हैं।
बस यही असल में इस हुकूमत का तर्जे अमल है। यही इसका मकसद है। वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के लिए क्यों खतरनाक है। यह वक्फ बिल हर तरह से खतरनाक है। इसमें जितनी दफात हैं। उसमें एक दफा भी ऐसी नहीं है, जो ईमानदारी के साथ रखी गई हो। अगर यह बिल पास हो जाए मुसलमानों का मस्जिद, कब्रिस्तानों, इमामबाड़ों, मदरसों, ईदगाहों, दरगाहों का वजूद खतरों में पड़ जाएगा। और जो मैनेजमेंट है वक्फ का क्योंकि यह मुसलमानों का इदारा है तो इसमें मुस्लिम मैनेजमेंट होना चाहिए। हर धर्म में जो धार्मिक इदारे हैं उसमें उसी धर्म के लोग इसे चलाने वाले होते हैं। लेकिन इसका मैनेजमेंट ऐसा बनाने की कोशिश की जा रही है कि उसमें मुसलमान कम होंगे और गैर मुस्लिम ज्यादा होंगे।
इससे सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा, इसलिए यह बिल बहुत खतरनाक है और मुसलमान के लिए यह बिल्कुल ठीक नहीं है। बयानों को लेकर आपका क्या कहना हैं -यह बदकिस्मती की बात है कि जो मुल्क के जिम्मेदार हो, वजीर ए आजम( प्रधानमंत्री ) हो या वजीर ए आला (मुख्यमंत्री) हो, उन्हें सबसे ज्यादा नापतोल करके बात करनी चाहिए। लेकिन इस वक्त जाहिल, फिरकापरस्त, नकारा ,नफरत की तालीम देने वाले हमारे औहदेदार आ गए हैं। वो लोगों के बीच बांटने वाली बातें करते हैं , वो अपने दस्तूर और संविधान का मजाक उड़ाते हैं। तो बहुत तकलीफ वाली बात है। बर्दाश्त से बाहर होने वाली बात है। वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई।
इस पर क्या कहना है-उन्होंने कहा जो जज फैसला करते हैं वह भी इंसान होते हैं। हालात से वह भी प्रभावित होते हैं। ज्ञानवापी में जो याचिका हिंदू पक्ष की खारिज की गई है। यह बिल्कुल ठीक है। यह सही फैसला है। उन्होंने कहा कि अगर मुल्क में जमीने खोद – खोद कर मस्जिद और मंदिर होने का फैसला करेंगे तो इसकी वजह से आपसी मतभेद शुरू हो जाएंगे। मुल्क में खानाजंगी का माहौल पैदा होगा। इसलिए अदालत का यह बिल्कुल सही फैसला है।
साभार : दैनिक भास्कर
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