मुंबई. महाराष्ट्र में बीजेपी वोट जिहाद के खिलाफ वोट धर्मयुद्ध का नारा बुलंद कर सत्ता में आई और भारी बहुमत से जीत दर्ज की. सरकार बनाने की कोशिशें हो रही हैं. शपथग्रहण की तैयारी में सब जुटे हैं. इसी बीच राज्य सरकार ने वक्फ बोर्ड को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 10 करोड़ का फंड देने का ऐलान कर दिया. मगर 24 घंटे भी नहीं बीते कि इस पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया और आखिरकार फडणवीस को फैसला वापस लेना पड़ा. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इसकी वजह?
शिंदे सरकार ने वक्फ बोर्ड के कामकाज और इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने के लिए यह फंड दिया था. तब भी काफी चर्चा हुई थी. कुछ लोग तारीफ कर रहे थे कि बीजेपी-शिवसेना की सरकार सर्वसमाज को साथ लेकर चलने का संकेत दे रही है. मगर शुक्रवार को अचानक देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर इस फैसले पर सफाई दी. उन्होंने एक्स पर लिखा, मुख्य सचिव ने तुरंत आदेश वापस ले लिया है क्योंकि जब राज्य में कार्यवाहक सरकार थी तब वक्फ बोर्ड को धन देने के संबंध में प्रशासन द्वारा जीआर ठीक से जारी नहीं किया गया था. राज्य में नई सरकार आते ही इसके औचित्य और वैधता की जांच की जाएगी.
कब हुआ था फैसला
दरअसल, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये देने का फैसला किया था. जून में चुनाव से पहले अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने औरंगाबाद में वक्फ बोर्ड को 2 करोड़ रुपये दिए थे और बाकी रकम बाद में देने का वादा किया था. अब फैसले के बाद महागठबंधन सरकार ने वक्फ बोर्ड के कामकाज और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए फंड मंजूर कर दिया है.
वजह भी जान लीजिए
इस बीच विश्व हिंदू परिषद ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया. कहा- जो कांग्रेस सरकार ने नहीं किया, वह महायुति सरकार कर रही है. सरकार धार्मिक समुदाय का तुष्टिकरण कर रही है. अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो आगामी स्थानीय स्वशासन और विधानसभा चुनावों में ग्रैंड अलायंस पार्टियों को हिंदुओं के क्रोध का सामना करना पड़ेगा. वीएचपी के कोंकण डिवीजन सचिव मोहन सालेकर ने इस बारे में चेतावनी तक दे डाली थी. विधानसभा चुनाव में विश्व हिन्दू परिषद ने बीजेपी के लिए काफी काम किया है. कहा जा रहा है कि इस फैसले से संघ के कुछ नेता भी नाराज चल रहे थे. इसलिए देवेंद्र फडणवीस को इस पर तुरंत एक्शन लेना पड़ा.
साभार : न्यूज़18
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