वाशिंगटन. ट्रंप प्रशासन की अस्थिर शुल्क नीति का दौर जारी है। अमेरिका ने शुक्रवार को अचानक ही घोषणा की है कि किसी भी देश से आयात होने वाले स्टील और एल्यूमिनियम पर चार जून से 50 फीसद का सीमा शुल्क लगाया जाएगा। अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस नीति में कोई बदलाव नहीं करते हैं तो वैश्विक स्टील बाजार में दूरगामी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन, भारत ने कहा है कि इसका भारत से अमेरिका को होने वाले स्टील निर्यात पर बहुत असर नहीं होगा। हालांकि, भारत सरकार स्टील के वैश्विक कारोबार की राह को संकुचित करने वाले कुछ देशों के कदमों पर व्यापक विमर्श कर रही है ताकि भारतीय उद्योग पर किसी नकारात्मक असर को समय रहते टाला जा सके।
दोगुना हो गया आयात शुल्क
केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने दैनिक जागरण से विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘हम देख रहे हैं कि अमेरिका की शुल्क नीतियों में लगातार अस्थिरता बनी हुई है। स्टील पर वहां की सरकार ने एक दिन पहले शुल्क बढ़ाने का जो फैसला किया है, वह इसी अस्थिरता का परिणाम है। इसमें आगे भी बदलाव संभव है। हमें दो-तीन महीने इंतजार करना चाहिए, तभी पता चल सकेगा कि अमेरिका में शुल्क की स्थिति क्या रहती है। अभी स्टील पर जो शुल्क बढ़ाने का फैसला किया गया है, उसका भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर बहुत ज्यादा विपरीत असर पड़ने की संभावना मुझे नजर नहीं आती है।’
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 30 मई, 2025 को अमेरिका ट्रेड एक्सपैंसन एक्ट, 1962 की धारा 232 के तहत स्टील और एल्यूमिनियम पर आयात शुल्क को मौजूदा 25 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान (वर्ष 2018) स्टील पर आयात शुल्क 25 फीसद और एल्यूमिनियम पर 10 फीसद कर दिया था। फरवरी, 2025 में एल्यूमिनियम पर भी शुल्क की दर 25 फीसद कर दी थी।
अमेरिका के ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ेगा असर
- मकसद यह बताया जा रहा है कि कभी उच्च लागत से अमेरिका छोड़ कर दूसरे देशों में फैक्ट्री स्थापित करने वाली कंपनियां फिर से अमेरिका लौटें। लेकिन, अभी इसका असर अमेरिका के ऑटोमोबाइल एवं दूसरे कई उद्योगों पर होने की संभावना है। वैश्विक कारोबार पर भारत की प्रसिद्ध थिंक टैंक जीटीआरआई का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारत पर होगा।
- भारत ने पिछले साल 56 अरब डॉलर के एल्यूमिनियम व स्टील का निर्यात अमेरिका को किया था। इसमें 3.1 अरब डॉलर का निर्यात लौह-इस्पात का था। अमेरिका में भारतीय स्टील की मांग बढ़ रही थी। कारण यह है कि अमेरिका में स्टील की कीमतें काफी महंगी हो रही हैं। अमेरिका में स्टील की कीमत 984 डॉलर प्रति टन है, जबकि यूरोप में यह 690 डॉलर प्रति टन और चीन में 392 डॉलर है।
- जीटीआरआई का अध्ययन कहता है कि अमेरिका में स्टील की कीमत 1180 डॉलर हो सकती है। भारत में यह कीमत अभी 500-550 डॉलर प्रति टन है। अमेरिका ने पहले जब स्टील आयात पर शुल्क लगाया था, तब भारत ने डब्लूटीओ में नोटिस भेजा था। अब जब एक बार फिर ट्रंप प्रशासन ने शुल्क बढ़ा दिया है तो देखना होगा कि भारत इसको संज्ञान में लेते हुए फिर से डब्लूटीओ को नोटिस भेजता है या नहीं।
साभार : दैनिक जागरण
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