नई दिल्ली. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स (DoT) ने स्मार्टफोन बनाने वालों को निर्देश दिया है कि वो मार्च 2026 से भारत में बिकने वाले सभी नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करें, ताकि इसके फीचर्स को डिसेबल या रोका न जा सके. आदेश के मुताबिक, ये ऐप डिवाइस के IMEI नंबर की असलियत वेरिफाई करने में मदद करेगा, हालांकि ये साफ नहीं है कि ऐप अपने आप IMEI को एक्सेस करेगा या यूजर्स को इसे मैन्युअल रूप से डालना होगा.
इस फरमान का मकसद
DoT का कहना है कि इस कदम का मकसद लोगों को नकली डिवाइस से बचाना, टेलीकॉम के गलत इस्तेमाल की रिपोर्टिंग को आसान बनाना और संचार साथी पहल को मजबूत करना है. 2023 में एक पोर्टल के तौर पर लॉन्च किया गया ये प्लेटफॉर्म यूजर्स को स्कैम कॉल की रिपोर्ट करने, अपने नाम पर जारी किए गए SIM कार्ड देखने और चोरी हुए फोन को दूर से ही ब्लॉक करने की सुविधा देता है.
वेबसाइट पर 6 घंटे में होगा लॉग आउट
ये निर्देश टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स, 2024 में बदलाव के बाद जारी किया गया तीसरा बड़ा आदेश है. हाल ही में, सरकार ने WhatsApp, Signal और Telegram जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को SIM बाइंडिंग लागू करने का निर्देश दिया, जिसका मतलब है कि अकाउंट सिर्फ ओरिजिनल रजिस्ट्रेशन SIM वाले डिवाइस पर ही काम कर सकते हैं. इन ऐप्स को गुमनाम गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए हर 6 घंटे में यूजर्स को वेब इंटरफेस से ऑटोमैटिकली लॉग आउट करने के लिए भी कहा गया था.
फाइनेंशियल फ्रॉड रोकने की कोशिश
एक और हालिया आदेश के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (FRI) और मोबाइल नंबर रिवोकेशन लिस्ट (MNRL) को इंटीग्रेट करना होगा, ये टूल फाइनेंशियल फ्रॉड में शामिल फोन नंबरों से जुड़े अकाउंट को फ्लैग और डीएक्टिवेट करने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम
DoT का तर्क है कि ये कदम साइबर क्रिमिनल्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले जरूरी सिक्योरिटी गैप को बंद करते हैं, खासकर भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करके क्रॉस-बॉर्डर डिजिटल स्कैम में. आर्टिकल में बताया गया है कि Apple जैसी कुछ कंपनियों ने प्राइवेसी की चिंताओं का हवाला देते हुए पहले से ही ऐप्स के कंपलसरी प्री-इंस्टॉलेशन का विरोध किया है.
क्या है संचार साथी?
‘संचार साथी’ पोर्टल या ऐप चोरी हुए या खोए हुए डिवाइस को रिकवर करने काम आता. DoT ने पिछले महीने एक प्रेस रिलीज में कहा कि अक्टूबर में हर महीने ऐसे रिकवर हुए डिवाइस की संख्या 50,000 तक पहुंच गई. शायद यही वजह है कि केंद्र सरकार इस ऐप को कंपलसरी करना चाहती है.
साभार : जी न्यूज
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