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स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने की दी सलाह

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नई दिल्ली. राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के सैंपल में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कोई टॉक्सिन नहीं मिला है। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, द सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन सहित अन्य एजेंसियों ने बच्चों की मौत की खबर के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से कफ सिरप के सैंपल कलेक्ट किए।

हालांकि जांच में पता चला कि किसी भी सेंपल में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल नहीं था। राज्य के अधिकारियों ने भी इन तीनों दूषित पदार्थों की अनुपस्थिति की पुष्टि के लिए नमूनों का परीक्षण किया।

‘दो साल से कम उम्र के बच्चों को ना दे सर्दी-खांसी की दवा’

हालांकि, केंद्र ने बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को सीमित करने के लिए एक सलाह दी है। विशेष रूप से, डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए और आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी ये दवाएं सही नहीं हैं। सलाह दी गई है कि बच्चों में खांसी के ज्यादातर मामले अपने आप ही ठीक होने वाली बीमारियां हैं जो बिना दवा के ठीक हो जाती हैं। जिसके लिए हाइड्रेशन, आराम और अच्छी देखभाल ही उपचार का पहला कदम होना चाहिए। इसके अलावा दवा निर्माताओं को गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का पालन करने और कई दवाओं के कॉम्बिनेशन से बचने और माता-पिताओं को दवाओं के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूक करने को कहा गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

  • बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को सीमित करें।
  • दो साल से कम उम्र के बच्चों को ना दे सर्दी-खांसी की दवा।
  • पांच साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवा आम तौर पर न दें।
  • पांच साल से कम उम्र के बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • डॉक्टर सिरप देने के बजाए पहले बिना दवा के राहत के उपायों को बताएं।
  • बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, सही देखभाल और भाप लगाएं और गरम पानी पिलाएं।
  • बच्चों में खांसी के ज्यादातर मामले अपने आप ही ठीक होने वाली बीमारियां हैं जो बिना दवा के ठीक हो जाती हैं।

किडनी फेल होने से हुई 9 बच्चों की मौत

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 15 दिनों के अंदर किडनी फेल होने से 9 मासूमों की मौत के बाद बड़ा खतरा उभरकर सामने आया। शुरुआती जांच से पता चला कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल, एक जहरीला पदार्थ, मिला हुआ था। किडनी बायोप्सी से बच्चों के शरीर में डायथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि हुई। ज्यादातर पीड़ितों को कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप दिए गए थे। घटना की जानकारी सामने आते ही छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने तुरंत पूरे जिले में इन दोनों सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी और डॉक्टरों, दवा की दुकानों और माता-पिता को एडवाइजरी जारी की है।

राजस्थान में भी हुई तीन बच्चों की मौत

इस घटना के बाद राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप बताया गया। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं है, जो कभी-कभी डायथिलीन या एथिलीन ग्लाइकॉल संदूषण का स्रोत हो सकता है। यह सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन-आधारित फॉर्मूला था जो बच्चों के लिए नहीं है।

राजस्थान से लिए गए सैंपल की हो रही जांच

राजस्थान से लिए गए सैंपल की जांच की जा रही है और सिरप बनाने वाली कंपनी की भी जांच की जा रही है। राज्य सरकार ने मुफ्त में बांटे जाने वाले जेनेरिक सिरप की आपूर्ति करने वाली कंपनी केसन फार्मा के सभी उत्पादों की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

साभार : दैनिक जागरण

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