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सिर्फ कागजों में होता है कानपुर में जनसुनवाई पोर्टल पर समस्याओं का समाधान

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कानपुर. जनसुनवाई पोर्टल पर बड़ी उम्मीद के साथ आम नागरिक अपनी समस्याओं के बारे में लिखते हैं. लेकिन क्या उनकी समस्याओं का समाधान हो पाता है? यह एक बड़ा सवाल है. रैंकिंग ठीक रखने के लिए जनसुनवाई पोर्टल पर समस्या निस्तारित दिखा दी जाती है. लेकिन शिकायतकर्ताओं को वास्तव में सिर्फ समस्या समाधान का आश्वासन ही मिलता है. समस्या का निराकरण नहीं होता है. ऐसा ही एक मामला कानपुर नगर निगम में देखने को मिला. जहाँ नगर निगम अतिक्रमण की बात तो मान रहा है, लेकिन वो अतिक्रमण हटाना नहीं चाहता है.

कानपुर नगर निगम को शिकायत की गई कि गांधीनगर निवासी राजकुमार दरबारी ने फुटपाथ पर कब्जा कर स्थायी निर्माण बना लिया है. नगर निगम की महापौर प्रमिला पाण्डेय से मिलकर बताया गया कि जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत करने के बाद भी यह अतिक्रमण हटाया नहीं जा रहा. महापौर ने तुरंत शिकायत सम्बंधित अधिकारी को फॉरवर्ड कर दी. लेकिन हुआ कुछ नहीं. इसके सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं या तो कानपुर महापौर ने सिर्फ दिखावे के लिए नगर निगम के अधिकारी को शिकायत फॉरवर्ड की थी या फिर अधिकारी महापौर की बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं. कारण कुछ भी हो लेकिन इसकी भुक्तभोगी तो कानपुर की जनता ही बनी.

शिकायतकर्ता ने सोचा की जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से समस्या का समाधान निकलवाने का एक और प्रयास करके देखना चाहिए क्योंकि इसकी समीक्षा तो अपनी सक्रियता के लिए परिचित माननीय जिलाधिकारी करते हैं. जनसुनवाई पोर्टल पर फिर शिकायत करने के बाद माना गया कि अतिक्रमण की शिकायत सही है और इसे आरोपी राजकुमार दरबारी के द्वारा स्वयं गिराए जाने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. यदि इस समयावधि में वो ऐसा नहीं करता है, तो कानपुर नगर निगम जुर्माने के साथ अवैध निर्माण को गिरा देगा. नगर आयुक्त के नाम से जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से जिलाधिकारी को यह जानकारी देकर शिकायत निस्तारित कर दी गई. पर हुआ कुछ नहीं.

इसके बाद भी दो बार जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की गई. दोनों बार बताया गया कि नगर निगम पुलिस फोर्स के साथ आकर अवैध निर्माण को गिरा देगा. किन्तु ऐसा एक बार भी नहीं हुआ. आश्चर्य की बात तो यह है कि मामला सीसामऊ थाना का होने के बाद भी दोनों बार फोर्स चमनगंज थाना से मांगी गई. पहली बार फुटपाथ पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण न हटा पाने के लिए फोर्स उपलब्ध न होने का कारण बताया गया. प्रश्न यह है कि जब फोर्स उपलब्ध कराने के लिए गलत थाने अनुरोध किया गया था, तो पुलिसबल मिलता कैसे? यदि एक बार यह गलती होती तो समझा जा सकता था. लेकिन दो-दो बार ऐसा होना समझ से बाहर है. हैरानी की बात यह है कि जिलाधिकारी कार्यालय ने भी इस बात को नहीं देखा कि मामला सीसामऊ थाने का है, जबकि फोर्स चमनगंज थाणे से मांगी जा रही है. खैर दूसरी बार बहाना भी दूसरा होना चाहिए. इसलिए इस बार अतिक्रमण न गिराने के लिए बताया गया कि सम्बंधित बाबू का ट्रांसफर हो गया है, नया बाबू आने पर ही कार्रवाई पर विचार किया जा सकता है.

यदि कानपुर के जिलाधिकारी, महापौर और नगर आयुक्त इसी तरह् जनसुनवाई पोर्टल की समस्याओं का समाधान करते रहेंगे, तो कागजों में कानपुर नंबर वन जाएगा, लेकिन वास्तविक स्थिति में यह नीचे से नंबर वन ही रहेगा.

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