कोलकाता. चुनाव आयोग की तरफ से चलाए जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान पर क्या ममता बनर्जी ने यू टर्न ले लिया है. दरअसल बुधवार को खबरें आईं कि SIR का खुलेआम विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने खुद उनके दरवाजे पर आए बीएलओ से पर्ची ली है. हालांकि सीएम ममता बनर्जी ने अब खुद इस पर सफाई दी है.
ममता बनर्जी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में साफ किया कि उनके घर पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) जरूर आया था, लेकिन उन्होंने कोई फॉर्म नहीं भरा और न ही साइन किया है. उन्होंने कहा कि उनके बारे में जो खबरें कुछ चैनलों और अखबारों में चल रही हैं, वे पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं.
क्या बोलीं ममता बनर्जी?
ममता बनर्जी ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘कल हमारे क्षेत्र के बीएलओ अपने आधिकारिक कार्य के तहत मेरे निवास कार्यालय आए थे. उन्होंने वहां मौजूद कुछ मतदाताओं से बातचीत की और जरूरी फॉर्म्स सौंपे. मैंने खुद कोई फॉर्म नहीं भरा है, और तब तक नहीं भरूंगी जब तक बंगाल के हर नागरिक को वह फॉर्म नहीं मिल जाता. कुछ चैनलों और अखबारों ने यह गलत खबर चलाई कि मैं खुद बाहर आई और बीएलओ से फॉर्म लिया… यह पूरी तरह झूठी और भ्रामक सूचना है.’
दरअसल बुधवार को खबर आई थी कि बीएलओ अमित कुमार रॉय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पहुंचे थे. रॉय भबानीपुर विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 77 के प्रभारी हैं. सुबह करीब 10:30 बजे वे ‘वोटर फॉर्म’ सौंपने पहुंचे थे.
सुरक्षा कारणों से पुलिस अधिकारियों ने पहले उन्हें अंदर जाने से रोका और फॉर्म अपने पास देने के लिए कहा, लेकिन बीएलओ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक फॉर्म सीधे मतदाता को ही दिया जा सकता है. थोड़ी देर की चर्चा के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति दी, हालांकि उन्हें अपना मोबाइल और बैग बाहर ही छोड़ना पड़ा.
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद ममता बनर्जी उनसे मिलीं और उन्होंने फॉर्म अपने हाथों से लिया. बीएलओ ने बताया कि फॉर्म भर जाने के बाद उनकी टीम को सूचना दी जा सकती है ताकि वे इसे वापस ले सकें। ममता ने जवाब दिया कि उनका कार्यालय उचित समय पर उनसे संपर्क करेगा.
SIR के खिलाफ चुनाव आयोग पर हमलावर ममता
इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में इसी SIR अभियान के खिलाफ विशाल विरोध मार्च निकाला था. उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया ‘राजनीतिक दुर्भावना’ से की जा रही है और भाजपा के इशारे पर चुनाव आयोग बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे विपक्ष शासित राज्यों को निशाना बना रहा है, जबकि असम और त्रिपुरा जैसे भाजपा शासित राज्यों में यह अभियान नहीं चलाया जा रहा है.
ममता ने इसे एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से जोड़ते हुए कहा कि यह कदम असली मतदाताओं को डराने और वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक भी योग्य मतदाता का नाम हटाया गया, तो केंद्र में भाजपा सरकार का पतन तय है.
गौरतलब है कि SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन मतदाता सूची की गहन जांच की प्रक्रिया है, जिसमें बीएलओ घर-घर जाकर डुप्लिकेट, मृत, प्रवासित या अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाने का काम करते हैं. विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर विपक्ष समर्थक और हाशिये पर मौजूद समुदायों के नाम हटाए जा रहे हैं. बिहार में इस अभियान के पहले चरण के बाद करीब 68 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की खबर ने विवाद खड़ा कर दिया था.
साभार : न्यूज18
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