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राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का निधन

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लखनऊ. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का 68 साल की उम्र में निधन (Kameshwar Chaupal Passed Away) हो गया है. दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले कुछ दिनों से वह बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे. राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका अहम रही थी. उन्होंने ही राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी. RSS की तरफ से कामेश्वर चौपाल को पहले कार सेवक का दर्जा दिया गया था. कामेश्वर चौपाल पूर्व एमएलसी सदस्य भी रह चुके हैं.

‘वे एक अनन्य रामभक्त थे’

कामेश्वर चौपाल के निधन पर पीएम मोदी ने दुख जाहिर किया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, भाजपा के वरिष्ठ नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. वे एक अनन्य रामभक्त थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया. दलित पृष्ठभूमि से आने वाले कामेश्वर जी समाज के वंचित समुदायों के कार्यों के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और समर्थकों के साथ हैं.

कामेश्वर चौपाल के निधन पर बीजेपी ने जताया दुख

अयोध्या से उनका लगाव काफी खास था. उनके निधन पर बीजेपी ने दुख जताया है. पार्टी की तरफ से एक्स पर पोस्ट में कहा गया कि राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले, पूर्व विधान पार्षद, दलित नेता, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के स्थाई सदस्य, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रहे, श्री कामेश्वर चौपाल जी के निधन की खबर सामाजिक क्षति है. उन्होंने संपूर्ण जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में समर्पित किया. वह मां भारती के सच्चे लाल थें.

9 नवंबर 1989 को रखी थी राम मंदिर की पहली ईंट

बिहार के सुपौल के रहने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में पहली ईंट रखी थी. तब वह विश्व हिंदू परिषद के सदस्य हुआ करते थे. मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखने के लिए कामेश्वर चौपाल को चुना गया था. राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी इसीलिए उनको इस कार्य के लिए चुना गया था.

2002 से 2014 तक राज्यसभा सांसद रहे

कामेश्वर चौपाल पहले वह विश्व हिंदू परिषद के सदस्य थे, लेकिन साल 1991 में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने पहली बार चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए. दूसरी बार साल 2014 में भी वह चुनावी मैदान में उतरे, तब भी वह जीत नहीं सके थे. हालांकि साल 2002 से 2014 तक वह राज्यसभा सांसद रहे.

साभार : एनडीटीवी

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