इस्लामाबाद. भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद का इंतजार कर रहा है. इस बीच आईएमएफ ने पैसे देने से पहले पाकिस्तान से क्लीयरटी मांग ली है और कहा है कि मदद चाहिए तो पहले फाइनेंशियल डाटा में आई गड़बड़ी को ठीक करना होगा. यह विसंगति पाकिस्तान की दो एजेंसियों की ओर से उपलब्ध कराए गए डाटा में दिखी है. आईएमएफ ने कहा है कि पहले इस विसंगति को ठीक कीजिए, फिर आर्थिक मदद दी जाएगी. इस फाइनेंशियल डाटा में करीब 11 अरब डॉलर की विसंगति दिख रही है.
आईएमएफ भी पाकिस्तान के व्यापार आंकड़ों की जांच कर रहा है. इस बीच आईएमएफ को पाकिस्तान की दो एजेंसियों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में 11 अरब डॉलर का अंतर दिख रहा है. आईएमएफ ने कहा है कि आंकड़ों में यह विसंगति 2023 से 2025 के बीच की है. इससे पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठने लगे हैं और आईएमएफ से मिलने वाली फंडिंग पर भी इसका असर दिख सकता है.
किन आंकड़ों में दिख रहा अंतर
पाकिस्तान अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पाकिस्तान के रेवेन्यू ऑटोमेशन लिमिटेड (PRAL) और पाकिस्तान सिंगल विंडो (PSW) ने वित्तवर्ष 2023-24 के लिए जो डाटा दिया है, उसमें 5.1 अरब डॉलर का अंतर दिख रहा है. रेवेन्यू एजेंसी ने व्यापार के आंकड़ों को 5.1 अरब डॉलर कम बताया है. इसके एक साल बाद आयात के आंकड़े बढ़कर 5.7 अरब डॉलर पहुंच गए हैं. पाकिस्तान सिंगल विंडो का डाटा स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों से भी ज्यादा था. इस डाटा का इस्तेमाल पाकिस्तान के चालू खाते के घाटे की गणना में किया गया था.
क्या बोला आईएमएफ
पाकिस्तान के व्यापार आंकड़ों में अंतर होने की वजह से आईएमएफ ने और पारदर्शिता बरतने की सलाह दी है, ताकि इन आंकड़ों को लेकर अविश्वास कम किया जा सके. इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने रेवेन्यू एजेंसी को दिसंबर तक बंद करने का आदेश दिया था. इसके आईटी सिस्टम को विश्व बैंक से वित्तीय सहायता दी जा रही है. इस एजेंसी की शुरुआत करीब 30 साल पहले हुई थी, लेकिन अब इसे बंद करने पर विचार किया जा रहा है.
चीन और पाकिस्तान के आंकड़ों में भी अंतर
अखबार के मुताबिक, PRAL ने कच्चे माल के आयात आंकड़ों को भी कम दिखाया है, क्योंकि उसने 7 प्रकार के स्रोत से अपने आंकड़े जुटाए थे. दूसरी ओर, PSW ने अपने आंकड़े 15 स्रोत से जुटाए हैं. इतना ही नहीं, पाकिस्तानी आयातकों और चीनी निर्यातकों की ओर से घोषित माल के बीच भी बड़ा अंतर दिख रहा है. आईएमएफ की इस शिकायत के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसकी जांच के लिए समिति भी बनाई थी. समिति ने बताया कि आयात के आंकड़ों को कम दिखाने के पीछे पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBS) का हाथ है, जो जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र को रिपोर्ट करता है. PBS ने साल 2017 में बनाए एक पुराने प्रोग्राम क्वेरी के कारण ही आयात आंकड़ों को कम दिखाया है.
साभार : न्यूज18
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