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ओपनएआई के खिलाफ लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में अब तक 7 मुकदमे दर्ज

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मुंबई. कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी ओपनएआई को सात मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि ChatGPT ने लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाया और भ्रम की स्थिति पैदा की। आरोप है कि जिन लोगों ने आत्महत्या की उन्हें पहले से कोई मानसिक समस्या नहीं थी। गुरुवार को कैलिफोर्निया की अदालतों में दायर मुकदमों में गलत कारण से मौत, आत्महत्या के लिए उकसाना, अनजाने में हत्या और लापरवाही का आरोप लगाया गया है।

मुकदमों में लगाए गए गंभीर आरोप

ओपनएआई के खिलाफ मुकदमा छह व्यस्कों और एक किशोर ने दायर कराया है। मुकदमें में कहा गया है कि ओपनएआई ने जानबूझकर GPT-4o को समय से पहले जारी किया, जबकि ये अंदरूनी चेतावनियां थीं कि यह खतरनाक रूप से चापलूसी करने वाला और मनोवैज्ञानिक रूप से भ्रमित करने वाला है। चार पीड़ितों की मौत आत्महत्या से हुई।

किशोर को फांसी लगाने के लिए उकसाया

सैन फ्रांसिस्को सुपीरियर कोर्ट में दायर मुकदमे के अनुसार, 17 साल के अमाउरी लेसी ने मदद के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल करना शुरू किया था। लेकिन मदद करने के बजाय चैटजीपीटी ने लेसी को लत, डिप्रेशन पैदा किया, और उसे यह सलाह दी कि फांसी का फंदा कैसे बांधा जाए और वह कितनी देर तक बिना सांस लिए जीवित रह पाएगा। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि ‘अमाउरी की मौत न तो कोई दुर्घटना थी और न ही कोई संयोग, बल्कि यह ओपनएआई और सैमुअल ऑल्टमैन के सुरक्षा परीक्षण में कटौती करने और चैटजीपीटी को जल्दबाजी में बाजार में लॉन्च करने के फैसले का परिणाम थी।’

लोगों को आर्थिक और मानसिक आघात दिया

ओपनएआई ने अभी मुकदमों को लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। कनाडा के ओंटारियो में रहने वाले 48 वर्षीय एलन ब्रूक्स द्वारा दायर एक और मुकदमे में दावा किया गया है कि दो साल से ज्यादा समय तक ChatGPT उसके लिए एक रिसोर्स टूल के रूप में काम करता रहा। फिर, बिना किसी चेतावनी के चैटजीपीटी बदल गया, उसकी कमजोरियों का फायदा उठाया और उसे भ्रम का अनुभव कराया। इसका नतीजा ये हुआ कि ब्रूक्स मानसिक समस्याओं से घिर गए और उन्हें आर्थिक और भावनात्मक नुकसान हुआ।

पीड़ितों की तरफ से मुकदमा दायर करने वाली लॉ फर्म सोशल मीडिया विक्टिम्स लॉ सेंटर के अटॉर्नी मैथ्यू पी बर्गमैन ने कहा कि चैटजीपीटी के टूल जीपीटी-4ओ को टूल और साथी के बीच की लाइन को धुंधला करने के लिए डिजाइन किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जीपीटी-4ओ ने यूजर्स को भावनात्मक रूप से फंसाने के लिए डिजाइन किया गया, लेकिन लोगों को बचाने के लिए जरूरी सुरक्षा उपायों के बिना ही इसे रिलीज कर दिया गया।

साभार : अमर उजाला

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