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सेना को मिली टेरिटोरियल आर्मी के प्रयोग की छूट, केंद्र सरकार ने दिया अधिकार

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नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच आर्मी प्रमुख को यह अधिकार दे दिया है कि वो जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी (TA) के सभी अधिकारियों और जवानों को बुला सकते हैं. थल सेना प्रमुख को यह अधिकार केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया है. यह फैसला पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सैन्य ठिकानों और सरहदी शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने के कुछ ही घंटे बाद लिया गया. इस आर्मी में सचिन और महेंद्र सिंह धोनी सहित कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं.

क्या है टेरिटोरियल आर्मी?

टेरिटोरियल आर्मी भारत की एक रिजर्व फोर्स है जिसमें आम शहरी होते हैं. यह आम दिनों दिनों में अपनी सर्विस करते हैं, हालांकि जरूरत पड़ने पर फौज के साथ काम करते हैं. इसकी स्थापना 1949 में सेना की मदद करने के मकसद से हुई थी. इस आर्मी का काम मुख्य फौजियों का बोझ कम करना है और इमरजेंसी स्थिति में उनके साथ खड़े होना है. टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी, जूनियर कमीशंड अधिकारी और अन्य जवान होते हैं जिन्हें मुख्य सेना की तरह रैंक और ट्रेनिंग भी दी जाती है.

टेरिटोरियल आर्मी की ताकत

टेरिटोरियल आर्मी में लगभग 40 हजार लोग हैं, जो 32 इंफेंट्री बटालियनों और अन्य इंजीनियर व विभागीय यूनिटों में काम करते हैं. इनमें रेलवे, सरकारी विभागों के कर्मचारी, पूर्व सैनिक और प्राइवेट क्षेत्र के नागरिक शामिल है.इसे ‘टेरीयर्स’ भी कहा जाता है और इसका नारा है ‘सावधानी और शूरता’. इसका आर्मी का नेतृत्व एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी करता है और यह रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है.

भूमिका और तैनाती

टेरिटोरियल आर्मी का मुख्य काम स्थिर ड्यूटी निभाना होता है जिससे नियमित सेना को मोर्चे पर तैनात किया जा सके. मुश्किल वक्त के समय टेरिटोरियल आर्मी को पूरी तरह सेना में शामिल किया जा सकता है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में यह आतंकवाद खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में मदद करती रही है. इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप वगैरह में यह नागरिक प्रशासन की भी मदद करती है.

सेना को कैसे मिलेगी मदद

अब थलसेना प्रमुख को पूरी टेरिटोरियल आर्मी को तैनात करने का अधिकार मिल गया है. इससे जरूरत के समय सेना को जल्दी से ज्यादा जवान और मदद मिल सकेगी. यह एक सस्ता और प्रभावी तरीका है जिससे ट्रेंड नागरिक सैनिकों की मदद से सेना की ताकत बढ़ाई जा सकेगी. इसमें शामिल लोगों के पास स्थानीय जानकारी और स्पेशल ट्रेनिंग होती है. जिससे सेना को रणनीतिक रूप से भी फायदा होता है.

साभार : जी न्यूज

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