सना. यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। यमनी नागरिक तलाल महदी की हत्या की दोषी निमिषा फिलहाल सना की जेल में बंद हैं। केरल से यमन गईं 37 वर्षीय निमिषा की फांसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, उनके परिवार की बेचैनी बढ़ रही है। यमन में निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने की भागदौड़ जारी है तो भारत में सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में अर्जी दी गई है। भारत सरकार से भी निमिषा के परिवार ने दखल की अपील की है। निमिषा को बचाने के लिए शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ पर बातचीत चल रही है। निमिषा के लिए सैमुअल जेरोम कोशिश कर रहे हैं, जो दो दशकों से यमन में रह रहे हैं। उन्होंने महदी के परिवार को ‘ब्लड मनी’ का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि महदी के पिता और भाई के साथ कई बैठकों के बाद 1 मिलियन डॉलर (8.5 करोड़ रुपए) पर बात बन रही थी लेकिन मामला अचानक पलट गया।
हूतियों और महदी के परिवार पर नजर
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए जेरोम को ब्लड मनी पर बातचीत के लिए अपना प्रतिनिधि बनाया है। विमानन सलाहकार जेरोम सऊदी अरब में भारतीय दूतावास की ओर से नियुक्त वकील के साथ भी काम कर रहे हैं। भारत का विदेश मंत्रालय स्थानीय कर्मचारियों के माध्यम से ही सना में काम करता है। सना पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है और भारत हूतियों को मान्यता नहीं देता है। ऐसे में सना में भारत की राजनयिक उपस्थिति नहीं है। दावा है कि भारत ने ईरान के जरिए हूतियों को मनाने की कोशिश की है। परिवार को उम्मीद है कि हूतियों का दिल जरूर पिघलेगा और कम से कम निमिषा की फांसी को कुछ समय के लिए निलंबित किया जाएगा।
साभार : नवभारत टाइम्स
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