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कश्मीरी पंडित सरला भट्ट की बर्बर हत्या की फिर से होगी जांच

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जम्मू. 14 अप्रैल 1990, 27 साल की सरला भट्ट रोज की तरह की अपने काम पर अस्पताल में थीं। हथियार बंद दहशतगर्द आए और सरला भट्ट को हथियारों की नोक पर उठा ले गए। सरला भट्ट 5 दिनों तक लापता रहीं। इस दौरान आतंकी उनका गैंगरेप करते रहे। उसके साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं। उनके बाद सरला भट्ट के शरीर पर कई कट लगाए गए। फिर कश्मीर पंडितों के बीच आतंक फैलाने के लिए उसके शरीर को क्षत-विक्षत करके 19 अप्रैल को फेंक दिया गया। सरला भट्ट की लाश को जिस तरह आतंकियों ने फेंका था, उससे कश्मीरी पंडितों की रूह कांप गई थी। शरीर में अनगिनट छेद थे। कई कट लगे थे, मुंह में कपड़ा ठूंसा था और हाथपांव बंधे थे। कश्मीरी पंडित डरकर घाटी से पलायन करने लगे।

अनंतनाग के अस्पताल में थीं नर्स

सरला भट्ट कश्मीरी पंडित थीं। वह अनंतनाग जिले के छोटे से इलाके काजीबाग की रहने वाली थीं। वह शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) सौरा में नर्स थीं। सरला की पोस्टिंग अस्पताल के नवजात शिशु विभाग में थी।

शरीर में कट लगाकर फेंका गया

SKIMS से उनका अपहरण कर लिया गया था। अगले दिन लाल बाजार में उनकी लाश मिली थी। माना जाता है कि जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के तीन आतंकवादियों ने उनकी हत्या की थी। इस मामले में निगीन पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया गया था। मंगलवार को जब स्पेशल टीम प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़े लोगों के घर छापेमारी करने पहुंची तो यह केस फिर जीवंत हो उठा।

इसलिए हुई थी सरला भट्ट की हत्या

जिन घरों में छापे मारे गए, उनमें JKLF के पूर्व नेता पीर नूरुल हक शाह का घर भी शामिल है। पीर नूरुल हक शाह को उनके जानने वाले एयर मार्शल के नाम से बुलाते हैं। जांचकर्ताओं का मानना है कि सरला भट्ट की हत्या घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकालने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।

एसआईए कर रही जांच

1990 में हुआ सरला भट्ट हत्याकांड केस आज भी अनसुलझा है। SIA इस मामले की जांच कर रही है। आज तक यह नहीं खुल पाया कि सरला भट्ट को किसने और क्यों मारा? हालांकि जांचकर्ताओं का मानना है कि उनकी हत्या कश्मीरी पंडित समुदाय को घाटी से बाहर निकालने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।

उपराज्यपाल ने शुरू करवाई जांच

इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। कश्मीर पंडित लगातार मांग कर रहे थे कि सरला भट्टे केस को दबाया गया, उसकी जांच ठीक से नहीं हुई। उपराज्यपाल ने कहा था कि 1990 के दशक में जो टारगट किलिंग्स हुई थीं, उन्हें फिर से खोला जाएगा और उनकी जांच की जाएगी। अब एसआईए ने इसकी जांच शुरू कर दी है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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