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खाद की सप्लाई को लेकर भारत ने सऊदी अरब से किया समझौता

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नई दिल्ली. केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जे.पी. नड्डा के सऊदी अरब दौरे में सऊदी और भारतीय कंपनियों के बीच वित्त वर्ष 2025-26 से डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की सप्लाई बढ़ाकर 3.1 मिलियन मीट्रिक टन करने के लिए लंबे समय के समझौतों पर दस्तखत किए गए. इस सेक्टर में दीर्घकालिक सहयोग की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक संयुक्त दल का गठन किया गया. भारत और सऊदी अरब के बीच खाद को लेकर हुई एक ऐतिहासिक डील ने देश के करोड़ों किसानों को बड़ी राहत दी है.

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा की अगुआई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की 11–13 जुलाई 2025 तक सऊदी अरब यात्रा के दौरान एक दीर्घकालिक आपूर्ति समझौता (Long-Term Agreement) साइन हुआ है. इसके तहत सऊदी अरब की कंपनी Ma’aden भारत की कंपनियों- IPL, KRIBHCO और CIL- को हर साल 3.1 मिलियन मीट्रिक टन DAP (Diammonium Phosphate) खाद की सप्लाई करेगी. यह सप्लाई वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होकर अगले पांच साल तक जारी रहेगी. दोनों पक्षों ने समझौते को भविष्य में पांच साल और बढ़ाने की भी संभावना जताई है.

क्यों है यह डील अहम?

DAP भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों में से एक है. FY 2023–24 में भारत ने सऊदी अरब से 1.9 मिलियन टन DAP आयात किया था. अब यह बढ़कर 3.1 मिलियन टन हो जाएगा- यानी 17% से ज्यादा वृद्धि. इससे देश की फर्टिलाइजर सुरक्षा मजबूत होगी, किसानों को DAP की कमी नहीं झेलनी पड़ेगी, और सरकार पर सब्सिडी बोझ भी नियंत्रित रहेगा.

और भी उर्वरकों पर चर्चा

सिर्फ DAP ही नहीं, दोनों देशों ने यूरिया समेत अन्य प्रमुख खादों की सप्लाई को भी दीर्घकालिक साझेदारी में शामिल करने पर चर्चा की. यह भारतीय कृषि प्रणाली के लिए और भी ज्यादा स्थिरता और कीमतों में संतुलन लाएगा.

निवेश और तकनीक का भी दरवाज़ा खुला

इस डील के तहत भारतीय कंपनियों को सऊदी अरब में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. साथ ही वैकल्पिक और कस्टमाइज्ड फर्टिलाइज़र पर रिसर्च के लिए भी दोनों देशों की एजेंसियां मिलकर काम करेंगी. कुल मिलाकर, यह डील न सिर्फ भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी कामयाबी है, बल्कि किसानों के लिए सुरक्षा कवच भी है. यह कदम भारत की आत्मनिर्भर खेती की ओर और एक मजबूत कड़ी जोड़ता है.

साभार : न्यूज18

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