येरुशुलम. ईरान के बाद अब सीरिया इजरायल के निशाने पर है. बुधवार को इजरायल ने राजधानी पर स्ट्राइक की और दमिश्क की दो सबसे सुरक्षित इमारतों को निशाना बनाया. इनमें एक सेना का मुख्यालय था और दूसरा रक्षा मंत्रालय. इजराइली डिफेंस फोर्स ने इसकी पुष्टि की है और कहा है कि ये हमला चेतावनी है. ऐसा माना जा रहा है कि इजरायल ने ये हमले सीरिया में ड्रूज समुदाय पर हो रहे हमले के बदले में किए हैं, एक ही दिन पहले सीरियाई सेना के साथ झड़प में ड्रूज समुदाय के तकरीबन 100 लोगों की मौत हुई थी.
मिडिल ईस्ट में इजरायल चौतरफा जंग लड़ रहा है. बेशक इसका एपिक सेंटर ईरान है, मगर लेबनान, यमन ओर सीरिया भी इजरायल को लगातार गीदड़ भभकी दे रहे हैं. ईरान के साथ इजरायल का सीजफायर है, हालांकि यमन, लेबनान और अब सीरिया को इजरायल लगातार जवाब दे रहा है. पिछले सप्ताह ही इज़राइल ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह के ख़िलाफ़ 2,000 से ज़्यादा हवाई हमले किए थे.गाजा पट्टी में उसकी लगातार बमबारी जारी है. यमन में हूतियों के खिलाफ और अब सीरिया में हमले कर इजरायल ने जता दिया है कि वह हर हालात के लिए तैयार है. इज़राइली सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने हाल ही में कहा था कि हम रुकने वाले नहीं हैं, हमने अगले चरणों की योजना भी तैयार कर ली है. इससे पहले इजरायल की ओर से ये भी कहा गया था कि वह हर हमले का जवाब देगा, उसके पास हथियारों की कोई कमी नहीं है.
इजरायल के पास कितने हैं हथियार?
इजरायल के पास कितने हथियार हैं, इस बारे में सैन्य और हथियार विशेषज्ञ दावा करते हैं कि इजरायल के पास इतने हथियार हैं कि वह किसी भी देश के साथ लंबी जंग लड़ सकता है. दरअसल इजरायल को अमेरिका से लगातार मदद मिल रही है. पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने इजरायल को दसियों हजार मिसाइलें बम और तोपें भेजी हैं. तेल अवीव स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संस्थान के सैन्य प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ येहोशुआ कालिस्की के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि मिडिल ईस्ट में हथियारों की कमी नहीं हो सकती. यहां के देशों को पता है कि हथियार उनकी आवश्यकता हैं, क्योंकि यहां मजबूत होना ही पड़ेगा.
दुश्मन को तबाह कर सकता है इजरायल
इजरायल के पास अपने किसी भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत है. IDF के मुताबिक 8 अक्टूबर 2023 से अब तक हिजबुल्लाह उस पर 9300 रॉकेट दाग चुका है, इसमें 49 लोग मारे गए हैं. हालांकि येहोशुआ कालिस्की का दावा है कि इनमें से 75 प्रतिशत मिसाइलों को इजरायल के आयरनडोम ने रोक दिया. विश्लेषकों का मानना है कि हिजबुल्लाह के पास तकरीबन 1 से 2 लाख रॉकेट और मिसाइलें हैं, मगर इजरायल भी कम नहीं है.वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ के मिसाइल रक्षा विशेषज्ञ टॉम कराको ने बताया कि इज़राइल के वायु रक्षा शस्त्रागार में एक से एक ऐसी मिसाइलें हैं जो ईरान की मिसाइलों को नेस्तनाबूद कर सकती हैं.
इजरायल में हो रहा हथियारों का निर्माण
हथियारों के हस्तांतरण पर नजर रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ रिसर्चर पीटर वेजमैन ने कहा है कि पिछले साल इज़राइल के रक्षा उद्योग ने देश के भीतर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता पैदा कर ली है. 2023 में इजरायल की कंपनियों ने इतने हथियार बनाए थे कि विदेशी सेनाओं को रिकॉर्ड 23 अरब डॉलर के हथियार निर्यात किए गए थे. ऐसे में साफ है कि इजरायल के पास अभी भी ऐसे हथियार हैं, जिनका प्रयोग वह संघर्ष बढ़ने की स्थिति में कर सकता है.
अमेरिका से भी मिल रहे बम-मिसाइल
स्टॉकहोम संस्थान, SIPRI के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका इज़राइल का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, और पिछले 15 वर्षों में इज़राइल को मिसाइलें और बम प्रदान करने वाला एकमात्र देश है. SIPRI का अनुमान है कि पेंटागन और अमेरिकी हथियार कंपनियों ने 2009 से इजरायल को कम से कम 29,100 गाइडेड बम, आर्टिलरी रॉकेट और विभिन्न मिसाइलें प्रदान की हैं. इनमें से एक तिहाई से ज्यादा केवल पिछले दो वर्षों में ही प्रदान किए गए, और 15 वर्षों का कुल योग लगभग निश्चित रूप से एक कम अनुमान है.
इजरायल बढ़ा रहा हथियारों का स्टॉक
गाजा में युद्ध शुरू करने वाले हमास के नेतृत्व वाले हमले के तुरंत बाद ही अमेरिका ने इजरायल को हथियारों से भरे कई विमान भेजे थे. इनमें 3000 गाइडेड बम, दसियों हजार तोप के गोले शामिल थे. इजरायल के रक्षा मंत्रालय की ओर से हाल ही में दिए गए बयान में कहा गया था कि अमेरिका ने युद्धकालीन खरीद के तहत कम से कम 3.5 बिलियन डॉलर दिए हैं. हालांकि पिछले साल मई के बाद से अमेरिका ने इजरायल को 2 हजार पाउंड वाले बंब भेजना बंद कर दिया है, ताकि नागरिक हताहत न हो. वाशिंगटन स्थित एक शोध संस्थान, फ़ाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के अनुसार, इज़राइल अभी भी अतिरिक्त बमों, मार्गदर्शन किटों और गोला-बारूद के फ़्यूज़ का इंतजार कर रहा है, जिन्हें उसने पिछले साल अमेरिका से भेजने के लिए कहा था. माना जा रहा है कि यह कदम इजरायल ने अपने हथियारों के स्टॉक को बढ़ाने के लिए उठाया है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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