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अफगानिस्तान में आये भूकंप का असर पाकिस्तान और ताजिकिस्तान तक महसूस किया गया

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काबुल. अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.66 मापी गई है। इसका असर पाकिस्तान में भी महसूस किया गया है। जर्मन भूविज्ञान अनुसंधान केंद्र (जीएफजेड) के अनुसार, शुक्रवार को अफ़गानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर 5.66 तीव्रता का भूकंप आया। उन्होंने ने बताया कि भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर थी। इस भूकंप में अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।

अफगानिस्तान में दो दिनों में दूसरा भूकंप

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, यह भूकंप शुक्रवार सुबह लगभग 5.23 बजे अफ़ग़ानिस्तान में आए 4.3 तीव्रता के एक और भूकंप के कुछ ही घंटों बाद आया है, जो राजधानी काबुल से लगभग 133 किलोमीटर पूर्व में आया था। उस भूकंप की गहराई भी 10 किलोमीटर थी और इसका सटीक स्थान अक्षांश 34.57 उत्तर और देशांतर 70.66 पूर्व था।

अफगानिस्तान में 31 अगस्त को भूकंप से मची थी तबाही

31 अगस्त 2025 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा के पास पूर्वी अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र नर्गल जिला, कुनार प्रांत में स्थित था। इसका हाइपोसेंटर सतह से 8 किलोमीटर (5 मील) नीचे था। इस भूकंप से व्यापक स्तर पर तबाही मची। इस भूकंप के कारण अफगानिस्तान में लगभग 3,000 मौतें हुईं, 4,000 घायल हुए और 8,000 घर ढह गए। लगभग सभी हताहत और विनाश कुनार प्रांत के पांच जिलों में हुए, जहां लगभग सभी इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं।

क्या अफगानिस्तान में भूकंप आना आम बात है?

ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों से घिरा अफगानिस्तान कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है, लेकिन यहां भूकंप के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं , जिससे हर साल औसतन 560 लोगों की मौत होती है और अनुमानित 80 मिलियन डॉलर का वार्षिक नुकसान होता है।

अफगानिस्तान में इतने भूकंप क्यों आते हैं

अफगानिस्तान उस जगह पर स्थित है जहां भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है। इस टकराव से उत्पन्न दबाव पृथ्वी की पपड़ी में पर्वत और भ्रंश बनाता है। जिसका अर्थ है कि दोनों एक दूसरे से मिल सकते हैं या एक दूसरे को छू सकते हैं – और यह अपने दक्षिण में अरब प्लेट से भी प्रभावित है, जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक टेक्टोनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक बन गया है। भारतीय प्लेट का उत्तर की ओर बढ़ना तथा यूरेशियन प्लेट पर उसका दबाव आमतौर पर अफगानिस्तान में आने वाले अनेक भूकंपों के लिए जिम्मेदार है।

साभार : नवभारत टाइम्स  

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