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संयुक्त किसान मोर्चा 30 जुलाई को पंजाब की मान सरकार के खिलाफ करेगी ट्रैक्टर मार्च

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चंडीगढ़. मान सरकार के लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव पारित किया। लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेज दिया गया है। इसी के साथ मान सरकार की नई लैंड पूलिंग पॉलिसी सहित सर्वदलीय बैठक में लाए गए चार प्रस्तावों को लेकर एसकेएम विरोध में 30 जुलाई को ट्रैक्टर मार्च निकालेगी।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लैंड पूलिंग पॉलिसी, पानी के समझौते और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट समेत चार मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी को छोड़कर 10 राजनीतिक पार्टियां बैठक का हिस्सा बनीं। किसान नेताओं ने कहा कि आप पंजाब के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को इस सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहले ही सूचित किया गया था।बैठक की अध्यक्षता संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय प्रधानगी मंडल ने की, जिसमें बलबीर सिंह राजेवाल, हरिंदर सिंह लखोवाल, डॉ. दर्शन पाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और रामिंदर सिंह पटियाला शामिल थे।

एसकेएम ने इन चार मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक में की चर्चा

एसकेएम की सर्वदलीय बैठक में लैंड पूलिंग पॉलिसी को रद्द किये जाने के प्रस्ताव पारित करने के बाद किसान संगठनों ने कहा कि यह पॉलिसी रियल एस्टेट कंपनियों के पक्ष में और किसानों के खिलाफ है। इसके अलावा मुक्त व्यापार समझौते से कृषि और सहायक व्यवसायों को बाहर रखने का फैसला लिया गया। विशेषकर अमेरिका के साथ हो रहे समझौतों को लेकर चिंता जताई गई। जल समझौतों पर किसान संगठनों ने पंजाब विधानसभा के द्वारा केंद्र सरकार को भेजे प्रस्ताव में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78, 79, 80 और डैम सेफ्टी एक्ट को रद्द करने की मांग की। किसानों ने पंजाब विरोधी सभी पुराने जल समझौतों को रद्द किया जाए। जमीन के नीचे गिरते जलस्तर को रिचार्ज करने हेतु नीति बनाने की किसानों ने पैरवी की। इसके अलावा कृषि नीति में किसान संगठनों के सुझाव लागू करने और पंजाब की कृषि नीति में किसान संगठनों की राय को महत्व देने की मांग की गई।

गांवों में संघर्ष होगा तेज

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर गांवाें में संघर्ष तेज किया जाएगा। इस पॉलिसी की वापसी तक किसान संगठन लड़ाई लड़ेंगे। राजेवाल ने कहा कि पॉलिसी में कुछ भी साफ नहीं है। पॉलिसी में लिखा है कि जिन किसानों की जमीन एक्वायर होगी, उनसे आगे डेवलपमेंट के लिए किसानों से चार्जेस वसूले जाएंगे। इसके अलावा कई शर्ते हैं, जिससे किसान सरकार को देकर खुद ही लूट का शिकार होगा। इस कानून से कारपोरेट घरानों का फायदा है। किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि यह नीति पंजाब सरकार की नहीं, बल्कि दिल्ली के रियल एस्टेट कंपनियों की है।

साभार : अमर उजाला

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