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नेपाल में प्रधानमंत्री सुशीला कार्की पर आरोप लगाते हुए जेन-जेड का प्रदर्शन

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काठमांडू. नेपाल में एक बार फिर Gen-Z सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने राजधानी काठमांडू में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। इसने एक महीने पहले नेपाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की यादों को ताजा कर दिया है। उस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट जैसी प्रमुख इमारतों को आग लगा दी थी। इतना ही नहीं, नेपाल के लगभग सभी प्रमुख नेताओं पर हमले हुए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नेपाल में एक बार फिर Gen-Z सड़कों पर क्यों हैं। उन्होंने जिसे खुद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था, आज उन्हीं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।

Gen-Z ने नेपाल के राष्ट्रपति को सौंपा मेमो

रिपोर्ट के अनुसार, Gen-Z आंदोलन से जुड़े 23 संगठनों ने प्रेसिडेंट राम चंद्र पौडेल को एक मेमो सौंपा है, जिसमें सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार पर विद्रोह की बुनियादी मांगों को नजरअंदाज़ करने का आरोप लगाया गया है। ग्रुप्स का तर्क है कि हालांकि अंतरिम सरकार 8-9 सितंबर के Gen-Z विद्रोह के बाद बनी थी, लेकिन यह कम से कम वादे भी पूरे करने में नाकाम रही है।

Gen-Z ने सरकार से क्या मांग की

मेमो में, गठबंधन ने पांच बड़ी उम्मीदें बताई हैं: बड़े भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ कार्रवाई, सीधे चुने गए प्रधानमंत्री को लाने के लिए संवैधानिक संशोधन, विद्रोह के दौरान कथित नरसंहार में शामिल लोगों के खिलाफ सज़ा देने वाले कदम, घायलों का मेडिकल इलाज, और शहीद घोषित लोगों के परिवारों के लिए सही मुआवजा। ग्रुप्स का आरोप है कि सरकार ने इन सभी उम्मीदों को नज़रअंदाज़ किया है और सिर्फ चुनाव कराने पर ध्यान दे रही है। उनका कहना है कि Gen-Z विद्रोह का मकसद सिर्फ जल्दी चुनाव कराना नहीं था, बल्कि सिस्टम में बदलाव लाना था।

क्या नेपाल में फिर होगा तख्तापलट

गठबंधन ने सरकार से उनकी मांगों पर तुरंत ध्यान देने की अपील की है, और कहा है कि अगर मौजूदा सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो राष्ट्रपति को नई सरकार बनाने में बीच-बचाव करना चाहिए। मेमोरेंडम में यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अगला चरण शुरू करेंगे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर Gen-Z की मांगों को अनसुना किया जाता है तो नेपाल एक बार फिर हिंसक विरोध प्रदर्शनों का शिकार हो सकता है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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