इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पेशावर में जुमे की नमाज के दौरान एक बड़ा धमाका हुआ है. यह धमाका किस्साखानी बाजार की जामा मस्जिद में हुआ, जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर है. धमाके के वक्त मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा कर रहे थे. स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और राहत-बचाव कार्य जारी है. घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. अब तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. पेशावर इससे पहले भी आतंकी हमलों का शिकार रहा है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. पाकिस्तान में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में आतंकवादी हमलों में 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इन हमलों में सबसे अधिक प्रभावित इलाका बलूचिस्तान रहा, जहां आतंकवाद की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. हाल ही में बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक की घटना ने भी इस स्थिति को और खौफनाक बना दिया है.
बलूचिस्तान आतंक का नया अड्डा
इस्लामाबाद स्थित पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज़ (PIPS) की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में पाकिस्तान में 54 आतंकवादी हमलों में 121 लोगों की मौत हुई और 103 लोग घायल हुए. इनमें से 62 प्रतिशत मौतें बलूचिस्तान में हुईं, जो दर्शाता है कि यह इलाका अब आतंकवाद का केंद्र बनता जा रहा है.
खैबर पख्तूनख्वा भी आतंक से अछूता नहीं
खैबर पख्तूनख्वा भी आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित हुआ. फरवरी में यहां 30 आतंकी हमले हुए , जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई और 58 लोग घायल हुए. पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि इन हमलों के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), हाफिज गुल बहादुर ग्रुप, लश्कर-ए-इस्लाम और इस्लामिक स्टेट-खोरासन (IS-K) जैसी आतंकी संगठन शामिल हैं.
बलूचिस्तान में सबसे ज्यादा मौतें
बलूचिस्तान में फरवरी में 23 हमले हुए, जिनमें 75 लोगों की मौत हुई और 45 लोग घायल हो गए. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) और बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (BRG) जैसे बलूच उग्रवादी समूहों ने 22 हमले किए , जिनमें 74 लोग मारे गए. इसके अलावा, TTP ने भी एक हमले को अंजाम दिया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई. पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद ने देश की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर चुनौती दी है. खासतौर पर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हो रहे हमले बताते हैं कि पाकिस्तान में उग्रवादी गुटों की पकड़ मजबूत हो रही है. सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है कि वह इस हिंसा को कैसे रोके और इन क्षेत्रों में शांति कैसे बहाल करे.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं