वाशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर पकड़े गए. ट्रंप ने दावा किया था कि भारत को वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिका ने 21 मिलियन डॉलर दिए हैं. सरकार पहले ही इनकार कर चुकी थी. अब दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भी लिखित में यही पुष्टि की कि 2014 से अब तक कोई फंडिंग या प्रोजेक्ट नहीं हुआ. भारत की वोटिंग मुहिम चुनाव आयोग और जनता खुद चलाते हैं. अब सोशल मीडिया पर ट्रंप के बयान पर लोग मजाक कर रहे हैं. लिख रहे, इंडिया का टर्नआउट देसी है, डॉलर से नहीं. ट्रंप का रिकॉर्ड रहा है कि जहां मौका मिले, आंकड़े घुमा-फिराकर बोल देते हैं. कभी क्लाइमेट फंडिंग, कभी नाटो का खर्चा… और अब भारत के वोटरों का बहाना. सुनने वालों को लगता है बहुत बड़ी डील बता रहे हैं, लेकिन जब हकीकत सामने आती है तो पता चलता है कि बातें तो बड़ी-बड़ी, लेकिन सब हवा हवाई. कुछ ऐसा ही उनके साथ भारत में हुआ.
अमेरिकी दूतावास ने ही खोली पोल
ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि भारत को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए USAID के तहत 21 मिलियन डॉलर (करीब 175 करोड़ रुपये) की फंडिंग दी गई. लेकिन संसद में विदेश मंत्रालय के लिखित जवाब ने उनके इस दावे की हवा निकाल दी. संसद में विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास का ही बयान पेश कर दिया. दरअसल, दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने साफ किया है कि न तो ऐसा कोई पैसा भारत आया है और न ही USAID/India ने पिछले एक दशक (2014–2024) में भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर कोई गतिविधि चलाई है. विदेश मंत्रालय ने भी यही बात संसद में बताकर ट्रंप का बयान खोखला साबित कर दिया.
असलियत क्या है?
भारत में वोटिंग को लेकर जो भी कैंपेन होते हैं, वो सब चुनाव आयोग खुद करता है. बाहर से कोई फंडिंग नहीं आती. यहां वोट डालने का जोश देखना हो तो बस किसी पोलिंग बूथ के बाहर लाइन देख लीजिए, लोग खुद घंटों खड़े रहते हैं, किसी डॉलर की जरूरत नहीं.
संसद में क्यों गूंजा मामला
भारत में अक्सर विदेशी दखलंदाजी की बातें उठती रहती हैं. विपक्ष भी चुनावी आंकड़ों पर सवाल खड़ा करता है. ऐसे में विदेश मंत्रालय का जवाब अहम था. विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत का लोकतंत्र किसी फॉरेन फंडिंग पर नहीं चलता. यहां वोटिंग का क्रेडिट सिर्फ जनता और चुनाव आयोग को जाता है.
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
ट्रंप के बयान पर अब ट्विटर-फेसबुक पर लोग ठहाके लगा रहे हैं. कोई लिख रहा है- ट्रंप जी, इंडिया का वोटिंग टर्नआउट देशी देसी है, डॉलर से नहीं. कोई कह रहा, अपने वोटरों को तो संभालो, इंडिया का मतदाता खुद ही लाइन में लग जाता है. एक अन्य ने लिखा, भारत में वोटिंग लाइन में खड़े लोगों को देखकर ट्रंप को लगा होगा कि सब अमेरिका से फंडेड हैं. गजबे है भाई.
साभार : न्यूज18
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