इस्लामाबाद. संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित और पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद अपनी महिला ब्रिगेड, जमात उल-मुमिनत बना रहा है. इस आतंकी समूह ने फंड जमा करने और भर्ती करने के लिए एक ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स शुरू किया है- जिसे तुफत अल-मुमिनत का नाम दिया गया है.
इस कोर्स के हिस्से के रूप में, जैश नेताओं के परिवार की महिला सदस्य, जिनमें संस्थापक मसूद अजहर और उसके कमांडरों की रिश्तेदार भी शामिल हैं, दूसरों को जिहाद और इस्लाम के संदर्भ में उनके ‘कर्तव्यों’ के बारे में सिखाएंगी. भर्ती अभियान ऑनलाइन ही आयोजित किया जाएगा और यह 8 नवंबर से शुरू होने वाला है. इसमें ‘लेक्चर’ हर दिन 40 मिनट तक चलेगा और इसका नेतृत्व मसूद अजहर की दो बहनें, सादिया अजहर और समैरा अजहर करेंगी. इनके क्लास में महिलाओं को जमात उल-मुमिनत में शामिल होने के लिए ‘प्रोत्साहित’ किया जाएगा.
मसूद की छोटी बहन सादिया अजहर को जमात का प्रभार सौंपा गया है. सादिया का पति यूसुफ अजहर, मई में बहावलपुर में जैश मुख्यालय पर ऑपरेशन सिन्दूर हवाई हमले के दौरान मारे गए मसूद अजहर परिवार के कई सदस्यों में से एक था. यह हवाई हमला अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत का सैन्य जवाब था. पहलगाम हमलावरों में से एक उमर फारूक की पत्नी अफरीर फारूक को भी शामिल किया गया है. इस बीच, मसूद अजहर अपने ‘डोनेशन’ अभियान को तेज कर रहा है. पिछले महीने बहावलपुर में मरकज उस्मान ओ अली में उनके अंतिम सार्वजनिक संबोधन के बाद – जैश अब इस ‘कोर्स’ में एडमिशन लेने वाली प्रत्येक महिला से 500 पाकिस्तानी रुपए (भारत के 156 रुपए) जमा कर रहा है और उनसे एक ऑनलाइन फॉर्म भरवा रहा है.
सूत्रों के अनुसार, चूंकि पाकिस्तान में चरमपंथी सामाजिक मानदंड अक्सर महिलाओं के लिए अकेले बाहर जाना अनुचित मानते हैं, इसलिए जैश-ए-मोहम्मद अब महिलाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहा है ताकि वह ISIS, हमास और LTTE के मॉडल पर अपने पुरुष आतंकवादी ब्रिगेडों के साथ महिला आतंकवादी ब्रिगेड बना सके और संभावित रूप से उन्हें आत्मघाती/फिदायीन हमलों के लिए उपयोग कर सके. फीस के रूप में 500 पाकिस्तानी रुपये लेना फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FTA) के नियमों को लागू करने का दावा करने में पाकिस्तान के पाखंड को रेखांकित करता है.
अजहर ने 8 अक्टूबर को जमात के महिला ब्रिगेड की घोषणा की थी. 19 अक्टूबर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में महिलाओं को समूह में लाने की शुरुआत के लिए ‘दुख्तरान-ए-इस्लाम’ नाम का एक कार्यक्रम हुआ था.
साभार: एनडीटीवी
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