
नई दिल्ली, दिसंबर 2025 : देश के प्रमुख गैर-लाभकारी संगठन ‘एनआईआईटी फाउंडेशन’ ने नई दिल्ली के यूएसआई परिसर में हाल ही में अपनी पहली इंपैक्ट एक्सपेरिमेंटल वर्कशॉप आयोजित की। सिर्फ निमंत्रित प्रतिभागियों वाले इवेंट के तौर पर आयोजित किए गए इस वर्कशॉप का उद्देश्य यह सोचना था कि पूरे भारत में सोशल इम्पैक्ट को कैसे बढ़ाया जा सकता है। इस इवेंट में कॉर्पोरेट, परोपकारी लोगों, पॉलिसी और डेवलपमेंट इकोसिस्टम के लीडर्स ने हिस्सा लिया।
“फ्यूचर-रेडी इम्पैक्ट: ह्यूमैनिटी, टेक्नोलॉजी और इन्क्लूजन” की थीम पर आयोजित इस इवेंट में इस बात पर फोकस किया गया कि उपलब्धता और अवसरों में कमियों को दूर करने के लिए ज़मीनी स्तर पर टेक्नोलॉजी से कैसे समाधान प्रदान किए जाए। इवेंट में हिस्सा लेने वालों को एनआईआईटी फाउंडेशन के डिजिटल बस पहल और कई एक्सपीरिएंशियल बूथ के ज़रिए ज़मीनी स्तर पर हो रहे काम को करीब से देखने का मौका मिला। इसमें दिखाया गया कि समाज के आखिरी छोर तक पहुँचने के लिए डिजिटल टूल्स को किस तरह से अमल में लाया जा रहा है।
वर्कशॉप को माननीय संसद सदस्य (राज्य सभा) और संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य सुजीत कुमार जी ने वर्चुअल रूप से उपस्थित होकर सुशोभित किया। इस तरह के कार्यक्रमों की महत्ता पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “चूँकि डाटा इकठ्ठा करने के लिए हमारा सिस्टम बहुत ठोस है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि टेक्नोलॉजी उचित प्रभाव के साथ सुदूर गाँव के कोने-कोने तक पहुँचे। एनआईआईटी फाउंडेशन जैसे संगठन इस तरह का प्रभाव डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

इवेंट में बोलते हुए एनआईआईटी फाउंडेशन की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सुश्री सपना मौदगिल ने कहा, “हमारे लिए ‘इंपैक्ट’ सिर्फ एक आँकड़ा ही नहीं है बल्कि यह लोगों, साझेदारियों और नीतियों के एक साथ काम करने से बनी एक जीती-जागती सच्चाई है। मुझे विश्वास है कि इससे सभा में मौजूद लोगों को उस सच्चाई को सीधे अनुभव करने और समझने में मदद मिली है कि जब टेक्नोलॉजी को सहानुभूति और सही इरादे से इस्तेमाल किया जाता है, तो वह भारत के युवाओं के लिए सम्मान, अवसर और स्थायी समावेश कैसे ला सकती है।”
एनआईआईटी फाउंडेशन का काम आज भारत के 83% जिलों में फैला हुआ है। इन जिलों में 1 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा लोगों को स्किल्ड बनाया गया है। इसके अलावा एनआईआईटी फाउंडेशन ने अपने कार्यक्रमों के ज़रिए 3 लाख से ज़्यादा लोगों को सफल जॉब प्लेसमेंट यानि रोजगार दिलाए हैं। फाउंडेशन की पहल का फोकस वंचित युवाओं, खासकर महिलाओं और पहली पीढ़ी के छात्रों के लिए डिजिटल और वित्तीय साक्षरता (फाइनेंशियल लिटरेसी), एसटीईएम शिक्षा, रोज़गार और आजीविका ट्रेनिंग जैसे क्षेत्रों में अवसरों को उपलब्ध कराना है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के भारत केंद्रित विश्लेषण के अनुसार लगभग 63% भारतीय कामगारों को 2030 तक डिजिटल रूप से स्किल्ड होने की जरूरत होगी। इनमें से कुछ लोगों की ट्रेनिंग बीच में छूट जाने का भी खतरा है। भारत डिजिटल इंडिया उद्देश्य और उससे भी बड़े लक्ष्य ‘विकसित भारत’ की तरफ जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सभी सेक्टर्स में जॉब रेडी डिजिटल स्किल से लैस लोगों की माँग बढ़ रही है।
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