कोलंबो. श्रीलंका दौरे पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका को बड़ी राहत का भरोसा दिलाया है. चक्रवात ‘दित्वाह’ से तबाह हुए श्रीलंका के लिए भारत ने 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 3,700 करोड़ रुपये) के सहायता पैकेज की घोषणा की है. इस ऐलान के साथ ही साफ हो गया है कि भारत न सिर्फ संकट की घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़ा है, बल्कि उसके दीर्घकालिक पुनर्निर्माण में भी अहम भूमिका निभाएगा.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं और एकजुटता का संदेश सौंपा. जयशंकर ने कहा कि चक्रवात के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत पहले मददगार की भूमिका निभाई और अब पुनर्निर्माण के लिए सहयोग और बढ़ाया जाएगा.
जयशंकर ने श्रीलंका को दिया पीएम मोदी का क्या संदेश?
जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने निर्देश दिया है कि भारत अब श्रीलंकाई सरकार के साथ उनकी प्राथमिकताओं को लेकर सीधे संवाद करे. इसी के तहत 45 करोड़ डॉलर का सहायता पैकेज प्रस्तावित किया गया है, जिसे श्रीलंका सरकार के साथ करीबी परामर्श में अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस पैकेज में 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रियायती ऋण लाइन और 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की अनुदान राशि शामिल होगी.
कहां लगेगी भारत की यह सहायती राशि?
भारत की यह सहायता उन क्षेत्रों पर केंद्रित होगी, जो चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. इसमें सड़कों, रेलवे और पुलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण, पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए घरों का निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की सुविधाओं को फिर से खड़ा करना शामिल है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र को भी विशेष सहायता दी जाएगी, ताकि अल्पकालिक और मध्यम अवधि में संभावित खाद्य कमी से निपटा जा सके.
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि भारत और श्रीलंका के बीच रिश्ते बेहद मजबूत हैं और भारत हर हाल में श्रीलंका के साथ खड़ा रहेगा. इससे पहले, श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ के साथ संयुक्त बयान में जयशंकर ने बताया कि शुरुआती राहत कार्यों के तहत भारत ने करीब 1,100 टन राहत सामग्री और 14.5 टन दवाइयां व मेडिकल उपकरण श्रीलंका भेजे थे.
भारत की इस पहल को ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का अहम उदाहरण माना जा रहा है. संकट के समय श्रीलंका की मदद कर भारत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि अपने पड़ोसी देशों के साथ साझेदारी निभाने में भी सबसे आगे है.
साभार : न्यूज18
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