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चीन पूर्वी पैंगोंग झील के पास भारत सीमा के निकट कर रहा है नई वायु रक्षा साइट का निर्माण

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बीजिंग. चीन ने तिब्बत के इलाके में पैंगोंग लेक के पूर्वी किनारे पर एक नया एयर डिफेंस कॉम्लेक्स बनाकर लगभग तैयार कर लिया है। चीन की नापाक हरकतों की आशंकाएं पहले से ही जताई जाती रही हैं। लेकिन, अब नई सैटेलाइट तस्वीरों से ड्रैगन के काले कारनामे बेनकाब हो गए हैं। सैटेलाइट इमेज के आधार पर दावा किया जा रहा है कि चीन ने अपने नए एयर डिफेंस कॉम्पलेक्स में कमांड एंड कंट्रोल बिल्डिंग के साथ ही बैरक, वाहनों के शेड के अलावा म्यूनिशंन स्टोरेज के अलावा सतह से हवा में और सतह से सतह पर हमले में सक्षम मिसाइलों से लैस बड़े वाहनों को छिपाकर तैनात करने की भी पूरी बंदोबस्त कर ली है।

चीन का एयर डिफेंस कॉम्पलेक्स

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने लद्दाख के उस पार पैंगोंग लेक के पूर्वी तट पर तिब्बत में बहुत ही तेजी से कंस्ट्रक्शन के काम को पूरी करने में लगा हुआ है। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नए चाइनीज एयर डिफेंस कॉम्पलेक्स में कमांड एंड कंट्रोल बिल्डिंग, बैरेक, वाहनों के शेड, म्यूनिशन स्टोरेज से लेकर रडार तक के लिए जगह बनाई हुई है। जिस जगह की सैटेलाइट तस्वीरों के बारे में रिपोर्ट है, वह उस गलवान घाटी से लगभग 110 किलोमीटर दूर है, जहां 2020 के जून में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।

HQ-9 मिसाइलों के लिए स्लाइडिंग छत!

रिपोर्ट में एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया है कि सबसे बड़ी बात ये है कि इस कंस्ट्रक्शन में कवर किया हुआ मिसाइल लॉन्च पोजिशन भी शामिल है, जिसके बारे में अनुमान है कि उसपर स्लाइडिंग वाले छत लगे हो सकते हैं, ताकि ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) वाहन तैनात किए जा सकें, छत खिसका कर मिसाइल ऊपर उठाए जा सकें और फिर उन्हें दागा जा सके। इंटेलिजेंस एनालिस्ट की मानें तो इस तरह के मजबूत शेल्टर चीन की लंबी दूरी वाली एचक्यू-9 (HQ-9) सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम को छिपाने और सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं।

न्यामा एयरफील्ड के सामने चीन की चाल

इस तरह के कॉम्प्लेक्स की डिजाइन की पहचान सबसे पहले अमेरिका की जियो-इंटेलिजेंस कंपनी ऑलसोर्स एनालिसिस(AllSource Analysis) के शोधकर्ताओं ने की थी। उनके अनुसार इसी तरह का एक कॉम्प्लेक्स गार काउंटी में भी है। जिस जगह की बात हो रही है,वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह क्षेत्र हाल ही में अपग्रेड किए गए भारत के न्यामा एयरफील्ड के सीधे सामने पड़ता है।

एससीएस में चीन पहले से कर रहा कारनामा

रिपोर्ट में अमेरिका की वैनटोर (Vantor) नाम की कंपनी से मिली सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया गया है कि चीन ने मिसाइल लॉन्च करने वाली जगहों पर जो स्लाइडिंग छतें बनाई हैं, वो इतनी बड़ी हैं कि इनमें दो वाहन आसानी से आ सकते हैं। 29 सितंबर की सैटेलाइट तस्वीरों में गार काउंटी में कम से कम एक लॉन्च पोजीशन वाली छत खुली हुई नजर आई। एलएसी पर इस तरह की लॉन्च पोजीशन पहली बार देखने को मिले हैं। वैसे दक्षिण चीन सागर (SCS) के विवादित द्वीपों पर चीन अपने सैन्य अड्डों पर ऐसी सुविधाएं पहले से ही स्थापिथ कर रखा है।

जुलाई में सामने आई थी पहली सैटेलाइट तस्वीर

पैंगोंग झील के पास दूसरी ऐसी सुविधा का निर्माण के काम को जुलाई के अंत में जियोस्पेशियल रिसर्चर डेमियन साइमन ने पहली बार पहचाना था। तब यह पता नहीं पता चल पाया था कि ये ढकी हुई लॉन्च पोजीशन वास्तव में किस काम आएंगी। विश्लेषकों को एक और खास बात की जानकारी मिली है। वहां पर तारों का जाल भी मिला है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम के अलग-अलग हिस्सों को उसके कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर से जोड़ने के लिए हो सकता है। पंगोंग झील के पास वाली इस सुविधा का कुछ हिस्सा अभी भी निर्माणाधीन है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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