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उद्धव और राज ठाकरे ने बीएमसी चुनाव से पहले गठबंधन की घोषणा की

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मुंबई. महाराष्ट्र में आखिरकार उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सियासी गठबंधन हो ही गया. बुधवार (24 दिसंबर) को दोनों भाइयों ने 15 जनवरी को होने वाले बीएमसी चुनाव से पहले गठबंधन की घोषणा कर दी. उससे शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं में उत्साह है. उद्धव ठाकरे विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी का भी हिस्सा हैं जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. दोनों भाइयों के गठबंधन पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है.

हमारे पास नाराज होने का कोई कारण नहीं- वड्डेटीवार

कांग्रेस नेता विजय वड्डेटीवार ने अगर मुंबई में दो भाई साथ आने का फैसला करते हैं तो हम बिल्कुल खुश है. जब कोई एक परिवार एकजुट होकर चुनाव लड़ता है, तो हमें नाराज़ होने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने साथ ही कहा, “लेकिन याद रखें, कांग्रेस कभी भी MNS के साथ गठबंधन करने को तैयार नहीं रही है.”

हमें निकाय चुनाव में ज्यादा सफलता मिली- वड्डेटीवार

नागपुर में मीडिया से बातचीत में विजय वड्डेटीवार ने कहा, “हाल ही में संपन्न हुए म्यूनसिपल काउंसिल के चुनावों के नतीजों में महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. ये बात अब सबभी को साफ तौर पर दिखाई दे रही है. कांग्रेस ने बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा. चाहे वह कुल वोट हों, मेयर के उम्मीदवार हों, या कॉर्पोरेटर की सीटें हों, हमें बाकी दोनों पार्टियों (शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे गुट) से ज़्यादा सफलता मिली.”

‘कांग्रेस कार्यकर्ता स्वतंत्र रूप से लड़ना चाहते हैं’

इसके आगे उन्होंने कहा, “ये नतीजे पूरी तरह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मनोदशा को दर्शाते हैं कि वे स्थानीय चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ना चाहते हैं. अगर दो भाई साथ आने का फैसला करते हैं तो हम वाकई में खुश हैं. हम उन्हें बधाई देते हैं और आने वाले चुनावों में उनकी सफलता की सच्ची कामना करते हैं। हमारा रुख हमेशा शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के साथ खड़े रहने का रहा है, और आज भी वही है.”

महाराष्ट्र पर कब्जा करने की साजिश- वड्डेटीवार

वड्डेटीवार ने ये भी कहा, “महाराष्ट्र के लिए मराठी लोग क्या फैसला लेते हैं, यह उन पर निर्भर करता है. लेकिन यह सच है कि राज्य में मराठी भाषा और मराठी पहचान पर खतरा मंडरा रहा है। भले ही मैं कांग्रेसी हूं, लेकिन सच तो सच ही रहता है. मुंबई पर कब्ज़ा करने और उसे गुजरात के कंट्रोल में लाने की एक सोची-समझी कोशिश की जा रही है.”

साभार : एबीपी न्यूज

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