मथुरा. श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़े मामलों में अब एक अहम सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने है कि भगवान श्रीकृष्ण के समस्त भक्तों का प्रतिनिधि वाद कौन-सा होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए मूल वाद के वादकर्ताओं ने दावा किया है कि प्रतिनिधिक क्षमता उसी वाद को मिलनी चाहिए, जो सबसे पहले दायर किया गया था। इसी विवाद पर सर्वोच्च अदालत एक दिसंबर को सुनवाई करेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में वाद संख्या-17 को यह मानकर प्रतिनिधिक दर्जा दिया था कि इसके वादकर्ता सभी कृष्ण भक्तों की ओर से मुकदमा चला सकते हैं। हालांकि मूल वाद संख्या-1 के वादकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उनका वाद पहले दायर हुआ था और अन्य वाद इसी की नकल हैं। ऐसे में किसी भी प्रतिनिधिक वाद का आधार मूल वाद होना चाहिए, न कि बाद में दायर कोई याचिका।
कोर्ट में आज क्या हुआ?
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया और कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत बहस जरूरी है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने अदालत को बताया कि वाद संख्या-1 को हाईकोर्ट में लीड मामला घोषित किया गया था। ऐसे में यह स्वीकार्य नहीं है कि वाद संख्या-17 को सभी कृष्ण भक्तों का प्रतिनिधि माना जाए। दीवान ने यह भी आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने प्रक्रिया के नियमों का पालन नहीं किया और अन्य समेकित वादों के पक्षकारों को नोटिस दिए बिना यह निर्णय ले लिया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वाद संख्या-17, जो श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से उनके नेक्स्ट फ्रेंड के माध्यम से दायर किया गया था, उसे सीपीसी के आदेश-1 नियम-8 के तहत प्रतिनिधिक क्षमता दी जाती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि इस वाद में प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि माना जाएगा। इस आदेश के तहत 18 में से 15 वाद एक साथ जोड़े गए, जबकि तीन अलग सूचीबद्ध रहे। इसी आदेश को मूल वादकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
वाद-17 के वादकर्ताओं ने क्या कहा?
वाद संख्या-17 के वादकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गुरुकृष्ण कुमार ने कहा कि जब सभी वाद एक ही उद्देश्य से लड़े जा रहे हैं, तो प्रतिनिधिक वाद को लेकर विवाद की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सभी वादकर्ताओं को जवाब देने का अवसर दिया था और प्रक्रिया का पालन किया गया है। उनके अनुसार, प्रतिनिधिक दर्जा देने का उद्देश्य मुकदमों की सुनवाई को सुव्यवस्थित करना है, न कि मूल वादकर्ताओं के अधिकार कम करना।
एक दिसंबर को होगी बड़ी सुनवाई
अब पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट एक दिसंबर को विस्तृत सुनवाई करेगा। अदालत यह तय करेगी कि 18 मामलों वाले इस संवेदनशील विवाद में किस वाद को सभी श्रीकृष्ण भक्तों का वैध प्रतिनिधि माना जाए। विवाद का यह पहलू महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि प्रतिनिधिक वाद का निर्णय सीधे तौर पर अन्य सभी मामलों की दिशा तय करेगा। फिलहाल सभी वादों की सुनवाई हाईकोर्ट में जारी है और अंतिम निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।
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