लखनऊ. संभल जामा मस्जिद के सदर जफर अली की अंतरिम जमानत अर्जी न्यायालय ने खारिज कर दी। नियमित जमानत अर्जी पर दो अप्रैल को सुनवाई होगी। दंगे भड़काने के आरोप में 23 मार्च से जफर अली जेल में बंद हैं। इसको लेकर जिले के अधिवक्ता आंदोलित हैं। बृहस्पतिवार को भी अधिवक्ताओं ने केवल जफर अली की जमानत अर्जी की सुनवाई के लिए कार्य किया। अपर जनपद न्यायाधीश (एमपी एमएलए सेशन कोर्ट) निर्भय नारायण राय के न्यायालय में जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। जफर अली के अधिवक्ता आसिफ अख्तर ने नियमित जमानत अर्जी में कहा गया कि संभल हिंसा की घटना 24 नवंबर 2024 की सुबह नौ बजे की दिखाई जा रही है।
अभियोजन कानून के अनुसार जामा मस्जिद सर्वे की कार्रवाई चल रही थी। तब ही 700-800 व्यक्तियों की भीड़ इकट्ठी हो गई और सर्वे को बाधित करने की कोशिश की। इस मामले में दर्ज एफआईआर में जफर अली एडवोकेट का कोई रोल नहीं दिखाया गया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया। उनके खिलाफ केवल यह आरोप है कि 25 नवंबर 2024 को उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की थी तथा घटना में कुछ गलती प्रशासनिक अधिकारियों की भी बताई थी। प्रेस कांफ्रेंस में कुछ बात कहना झूठे साक्ष्य बनाने की श्रेणी में नहीं आता है। जमानत अर्जी में यह भी कहा गया है कि प्रशासनिक अधिकारी जफर अली पर बयान बदलने का दबाव बना रहे थे।
उन्हें 24 मार्च 2025 को न्यायिक आयोग के सामने बयान देने जाना था। इस कारण एक दिन पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जफर अली की आयु 70 वर्ष है। वह रेगूलर प्रेक्टिशनर होने के साथ हृदय रोग से पीड़ित हैं। इसके साथ ही एक अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र भी जफर अली के वकील ने न्यायालय में पेश किया गया। उसको न्यायालय ने खारिज कर दिया। नियमित जमानत प्रार्थना पत्र पर केस डायरी न होने के कारण दो अप्रैल की तिथि निश्चित की गई है। इस दौरान पुलिस का कड़ा पहरा रहा।
अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन
जामा मस्जिद के सदर जफर अली की गिरफ्तारी के विरोध में कोर्ट परिसर में जिला बार एसोसिएशन, सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन, टैक्स बार एसोसिएशन व तहसील बार एसोसिएशन की बैठक हुई। इसके बाद सभी वकीलों ने विरोध प्रदर्शन कर सदर की गिरफ्तारी को गलत बताया। कहा कि पुलिस मनमानी कर रही है। अधिवक्ता अब्दुल रहमान ने कहा कि एडवोकेट जफर अली की गिरफ्तारी असंवैधानिक है। जफर अली के जेल जाने के बाद उनके परिवार को मिलने नहीं दिया जा रहा है। यह मानवाधिकारों का हनन है। प्रशासन की निंदा करते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए जांच अधिकारी व अन्य पुलिस अधिकारियों का जनपद से स्थानांतरण होना चाहिए।
निष्पक्ष एजेंसी से पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने की मांग की। बैठक के बाद अधिवक्ताओं ने मुंसिफ कोर्ट परिसर में प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन करते हुए उनकी गिरफ्तारी को गलत बताया। कहा कि जफर अली के पक्ष ने प्रदेश के कई बार एसोसिएशन का समर्थन मिला है। इस दौरान कई अधिवक्ता मौजूद रहे।
जेल अफसर बोले- जान को खतरा संबंधी आरोप गलत
जेल में बंद सदर जफर अली ने जान से खतरा संबंधी प्रार्थनापत्र जेल प्रशासन को नहीं दिया है। उनके परिजनों ने भी मुलाकात के लिए कोई आवेदन नहीं किया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह ने बताया कि जफर अली को जेल नियमावली के अनुसार सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि परिजनों ने जेल प्रशासन से मुलाकात के लिए कोई आवेदन नहीं किया। नियमानुसार मुलाकात करने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन सुबह 11 बजे तक आवेदन देना पड़ता है। यदि आवेदन मिलेगा तो नियमानुसार मुलाकात कराई जाएगी।
साभार : अमर उजाला
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